कल्पना नहीं हकीकत है यह औरत
भावी इतिहास की नसीहत है यह औरत
छुई-मुई नहीं वाचाल है यह औरत
आज्ञाकारी नहीं दावेदार है यह औरत
जी हां, ख़ौफनाक है यह औरत
मर्दवाद के पैरोकारों के लिए
परंपरा के रखवालों के लिए
सरमाए के किलेदारों के लिए
हो रहा है मुखर उसका कलम
बढ़ रहा है आगे उसका कदम
खाई है मानव-मुक्ति की कसम
रुकेगी नहीं जब तक है दम
(एक अजन्मी कविता का प्राक्कथन)
(ईमिः 30.06.2015)
No comments:
Post a Comment