Saturday, June 6, 2015

शिक्षा और ज्ञान 58

Akshay Bhatt जैसे धर्म सामंतवाद की विचारधारा था उसी तरह राष्ट्रवाद पूंजीवाद की विचारधारा है जिसकी अवधारणा पूंजीवाद की जरूरतों के अनुसार बदलती रहती है. पूंजी के संकट के समय वह फासीवाद का रूप धारण कर लेती है. किसी भी विचार की शुरुआत परिभाषा से होती है, अमूर्त नारे उछालना लफ्फाजी है जैसा मोदी कर रहा है. अापका राष्ट्रवाद मोदी के राष्ट्रवाद स कैसे अलग है बताना पड़ेगा. मानवतावाद क्या है? तुम्हारा मानवतावाद दीनदयाल के अमानवीय मानवतावाद से कैस भिन्न है?  क्रांति भावनाओं से नहीं, विचारों से आती है, राष्ट्रवाद  क्रांति के रास्ते का सबसे बड़ा अवरोधक है.  Mohinder Pal Vidrohi की राय मान, पहले पढ़ो, खूब पढ़ो अपने को विचारों तथा समझ से लैस करो. अपनी अक्षय ऊर्जा-उत्साह अमूर्त हवाई नारों में मत व्यर्थ करो, उन्हें मूर्तरूप दो. मैंने मार्च में विद्यार्थियों के नाम शहादत के थोड़ा पहले लिखा पत्र पोस्ट किया था नेट पर है. पेरिस कम्यून की कहानी जानते हो? जब जर्मन "राष्ट्र"  ने फ्रांस "राष्ट" पर हमला किया तो फ्रांस "राष्ट" ने पेरिस के मजदूरों को बंदूक थमा दी. जर्मनों को खदेड़ने के बाद पेरिस के मजदूरों ने बंदूकें अपने ही शोषक शासकों पर तान दी तथा कम्यून की स्थापना की. (type Paris Commune on google ) कम्यून के नेता या तो मजदूर थे या उनके प्रामाणिक प्रतिनिधि. फ्रांस "राष्ट" ने कम्यून को कुचलने के लिये जर्मन "राष्ट्र"  को अामंत्रित किया. कम्यून तो दो राष्ट्रों ने मिलकर कुचल दिया लेकिन वह इतिहास में मील का पत्थर बन गया.

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