Akshay Bhatt इसीलिये तो कह रहा हूं तुम्हारा राष्ट्रवाद यदि नवोदित पूंजीवाद की राजनैतिक अधिरचना, राष्ट्र राज्य की विचारधारा के रूप में स्थापित राष्ट्रवाद की स्थापित अवधारणा से अलग है तो उसे परिभाषित-सथापित करो, नहीं तो कैसे पता चलेगा कि तुम्हारे राष्ट्रवाद तथा अमित शाह तथा अडानी के राष्ट्रवाद से कैसे भिन्न है? वर्तमान को ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में ही समझा जा सकता है तभी बदलाव की रणनीति बन सकती है. पूंजी का चरित्र भूंडलीय है जिसे समझे बिना बदलाव की कामयाब रणनीति नहीं बन सकती. पूंजी स्रोत तथा निवेश दोनों ही अर्थों में राष्टीय सीमाएं पार कर चुकी है जिसका मौजूदा लक्ष्य तीसरी दुनिया तथा पूर्वी यूरोप की जमीन तथा दिमाग पर कब्जा करना है. यह काम उसके लिये मुश्किल इस लिए नहीं है कि इन सभी देशों में विश्वबैंक की सेवक सरकारें हैं जहां नहीं हैं वहां अार्थिक तथा सैनिक हमलों से तबाही मचा देती है. यूनान ज्वलंत उदाहरण है. यदि वाकई मानवतावादी हो तो जमीन तथा शिक्षा पर कारपोरेटी हमले के विरुद्ध संघर्षों से जुड़ो, संघर्ष विचारों को परिपक्वता प्रदान करते हैं. इस समय मानवता की रक्षा के लिए भूणि अधिग्रहण अध्यादेश तथा सीबीसीयस के जरिये विश्वविद्यालय व्यवस्था को नष्ट करने तथा दिमाग के उपनिवेशीकरण की साजिश के खिलाफ जनमत तैयार करने तथा संगठित होने की अावश्यकता है. मैं शिक्षक हूं तथा वाद-विवाद का विमर्श नहीं करता. मेरा मकसद तुम जैसे उत्साही युवाओं को जनवादी चेतना अख्तियार करने के लिए उकसाना ही नहीं मदद करना भी है. खूब पढ़ो-बढ़ो-लड़ो.
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