Thursday, June 11, 2015

मरना शुरू कर देता है वह आहिस्ता आहिस्ता
---- पाब्लो नरूदा

मरना शुरू कर देता है वह आहिस्ता आहिस्ता
अनभिज्ञ है जो सुख से यायावरी के
नहीं करता जो दोस्ती किताबों से
सुन नहीं पाता जो जीवन का संगीत
और कर नहीं पाता खुदी की दावेदारी


मरना शुरू कर देता है वह आहिस्ता आहिस्ता
कत्ल करता है जो अपना ज़मीर
और कर देता है मदद लेने से इंकार


शुरू कर देता है मरना वह आहिस्ता आहिस्ता
होता है जो आदतों का गुलाम
और चलता रहता है घिसी-पिटी लीक पर
जो नहीं बदलता है एकरसता की दिनचर्या
वह जो अपरिचिच बना रहता हैै रंगों की विविधता से
या नहीं करता अपरिचितों से संवाद


मरना शुरू कर देता है वह आहिस्ता आहिस्ता
यदि बचता है संवेदनाओं की गहन अनुूभूति से
और उनकी कोलाहली भावनाओं से
जो पैदा करती हैं आंखों में श्रवणशक्ति
और तेज कर देती हैं दिल की धड़कनें


मरना शुरू कर देता है वह आहिस्ता आहिस्ता
यदि नहीं बदलता ऊबकर भी नौकरी या प्रेमिका
यदि नहीं छोड़ता यथास्थिति की निशचितता
और नहीं उठाता जोख़िम नयी खोज का
यदि रोकता है खुद को करने से इंकार
ज़िंदगी में कम-से-कम एक बार
मानने से विरासती विचार
(अनुवादः ईश मिश्रः 12.06.2015)


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