Sunday, June 7, 2015

सियासत 13

Akshay Bhatt राष्ट्र प्रेम यानि राष्ट्र से प्रेम या किसी से भी प्रेम बुरी बात नहीं है लेकिन अपने प्रेम-पात्र को जानना तो जरूरी है. शुरू से ही यही पूछ रहा हूं, यह राष्ट्रवाद-राष्ट्रप्रेम ठोस शब्दों में क्या है? क्या ठोस रूपरेखा है राष्ट्र-प्रेम या इंसानियत प्रेम से. हिटलर ने राष्ट्रवाद के नाम पर मानवता तथा इतिहास के विरुद्ध भयानकतम अपराध किया. राष्ट्रवाद के नाम पर अंग्रेजी शासक वर्ग दुनिया की तमाम अाबादी पर ज़ुल्म ढाता रहा. करोड़ो यूरोप वासियों, अमरीकियों के व्यापक युद्ध विरोधी प्रदर्शनों के बावजूद, कॉरपेरेटी दलाल अमेरिकी शासन अमेरिकी राष्ट्र के हितों तथा मानवता की रक्षा मे अफगानिस्तान से लेकर लीबिया तक तबाही मचा रहा है. इन अमूर्त, अपरिभाषित नारों पर मौलिकता का अापका दावा या तो बेइमानी है या अनभिज्ञता का परिणाम. अाधुनिक इतिहास के सारे नारेबाज नेता इन्ही अमूर्त, अपरिभाषित नारों की लफ्फाजी से भोले-भाले अामजन को गुमराह करते तथा लड़ाते रहे हैं. यदि वाकई कुछ मौलिक योगदान देना चाहते हैं विचारों तथा कर्म से तो पहली जरूरत है, तथ्यो-तर्कों के आधार पर इतिहास की समझ, तभी अाप बौद्धिक तथा सामाजिक विकास में सार्थक योगदान दे सकेंगे. चेखव ने कहा था कि कला के लिए कला अपराध है, उसी तरह बहस के लिए बहस अपराध है. मेरे पास नष्ट करने के लिए समय नहीं है, समय निवेश करता हूं. हर निवेश लाभकारी नहीं होता तथा अलाभकारी निवेश बंद कर देना चाहिए. पढ़ो, चिंतन-मनन करो, वैज्ञानिक आधार पर समाज को समझने की कोशिस करो. अच्छी नीयत एक सापेक्ष प्रवृत्ति है तथा ईश्वर एक मानव निर्मित अवधारणा औप कमजोर का आलंब है. शुभकामना.

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