भूपत के पास जमीन नहीं है
लेकिन गांव में घर पर बीबी बच्चे हैं
और दिल्ली में अपना खुद का रिक्शा
भूपत 30 साल से यही करता है
विश्वविद्यालय गेट पर रिक्शा लगाता है
खा-पीकर जो बचता है घर भेज देता है
जून की हर छुट्टी में गांव चला जाता है
भूपत का कभी कभी निरूलाज़ जाने का मन कहता है
मगर याद कर गांव में बच्चों की भूख
फुटपाथ के छोले-कुल्छे से काम चलाता है
व्यर्थ ही पूछते हो गरीब की रुचि या स्वाद
मिलता उसे जो भी समझता उसे परमात्मा का प्रसाद
अब भूपत सवारी छोडने के बाद
निरूलाज़ के अदर झांकता नहीं हैं
कभी भी उसका मन निरूलाज़ जाने को नहीं होता
भूपत के पास जमीन नहीं है
(ईमिः23.06.2015)
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