Tuesday, December 24, 2013

Khurshid 3

Aseem Trivedi  खुर्शीद और उसके मित्र शुरू से ही जांच की मांग कर रहे थे और आरोपी आग्रह कर रहा था शिकायतकर्त्ता को एफआईआर करने के लिए. जो लड़की इतनी बहादुरी  से निर्भया बलात्कारकांड के विरोध में इतनी सक्रियता से जूझ  सकती है उसके अंदर पुलिस में रिपोर्ट करने का साहस न हो, विश्वसनीय नहीं लगता. पुलिस के पास न जाकर वह मोदीनामा की रचइता मधुकिश्वर से सीडी बनवाने पहुंच जाती है और उसके तथाकथित साथी शहर शहर  घूम कर चुनिंदा लोगों को वह वीडियो दिखाते हैं और फेसबुक पर घिनौना प्रचार करते हैं और उस प्रकरण के दो प्रमुख  किरदार-- मयंक-इला -- पत्रकार, मनीषा पांडेय एवं अन्य की मौजूदगी में खुर्शीद से माफी मांगते हैं जो खुर्शीद के फोन में रिकार्डेड है. मधुकिश्वर के फास 3 महीने से वह सीडी थी लेकिन उन्हें इसका ध्यान 16 दिसंबर के बाद ही आता है. इंडिया टीवी पर रजत शर्मा उसे प्रवृत्तिगत बलात्कारी बताते हैं, उसकी शकल दिखाते हैं लेकिन आवाज़ नहीं सुनाते.
 मैं खुर्शीद को 32-33 साल से जानता हूं तबसे जब वह 21-22 की उम्र में वह जे.यन.यू. में एमए करने आया. थोड़े ही दिनों में हम अच्छे मित्र बन गए. राजनैतिक मतभेद निजी रिश्तों को नहीं प्रभावित करते थे. जनेवि और उसके बाहर भी खुर्शीद के मित्रों में महिलाओं की संख्या पुरुष मित्रों के लगभग बराबर रही है . "बलात्कारी प्रवृत्ति" का व्यक्ति 30-35 साल में  कभी तो किसी को शिकायत का मौका देता? 19 दिसंबर को विद्युत शवदाहगृह में उसकी शरीर आग के हवाले करते वक़्त, पढ़े-लिखे सैकड़ों लड़के-लड़कियां; स्त्री-पुरुष क्या एक बला्त्कारी को फफक कर अंतिम लाल सलाम देने आये थे? दर-असल मर्दवाद और हर तरह के कठमुल्लेपन के खिलाफ उसकी आक्रामक मुखरता और कलम की पैनी धार से जमाती-संघी (मौसेरे नहीं, सगे भाई) बौखला गए हैं और विचारों से भयभीत इंसानियत ये कायर दुश्मन व्यक्ति की हत्या कर देते हैं. ये जाहिल हत्यारे यह नहीं जानते इससे विचारों की आवाज़ और बुलंद हो जाती है. .आइए  मर्दवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ जंग को बल देकर साथी खुर्शीद को श्रद्धांजलि दें. आवाम सजा देगा उसके हत्यारों को. मुझे तो यह हत्या का मामला लगता है, मीडिया की खाप पंचायत ने ऐसा माहौल बना दिया कि आत्म-हत्या की थियरी सहज लगे. लाश पर राजनीति बंद करो, बिके हुए पत्रकारों. एक तरफ आप आरोप साबित होने के इंतजार की बात कर रहे हैं दूसरी तरफ उस पर आरोपी की जगह बलात्कारी का ठप्पा भी चस्पा कर रहे हैं. वह किसपर कार्वाई करता क्योंकि ये कायर बिना नाम लिए संकेतों में बात कर रहे थे. जैसे ही नाम सामने आए उसने मानहानि का मुकदमा कर दिया और उसी के बाद मीडिया की खाप पंचायत सक्रिय हो गई.

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