कुछ खास कहती है यह तस्वीर हो बेबाक
काली जुल्फों से से मिलकर काली पोशाक
लगती है उजियारे सावन की मोहक घटा
गोरा मुखड़ा बिखेरता पूर्णिमा के चांद की छटा
आंखों पर काला चश्मा लगता चांद पर पतली घन रेखा
ऐसी विरली सुंदरता था पहले नहीं देखा
थोड़ी वक्र है काया उन्नत उरोजों से
आलस्य है चाल में सुंदर नितंवों से
हाथों का उनपर वक्र सहारा
पेश करता किसी पेंटिंग का नज़ारा
चेहरे के भावों का दृढ़ संकल्प
ढूढ़ने का जीवन में एक नया विकल्प
काली जुल्फों से से मिलकर काली पोशाक
लगती है उजियारे सावन की मोहक घटा
गोरा मुखड़ा बिखेरता पूर्णिमा के चांद की छटा
आंखों पर काला चश्मा लगता चांद पर पतली घन रेखा
ऐसी विरली सुंदरता था पहले नहीं देखा
थोड़ी वक्र है काया उन्नत उरोजों से
आलस्य है चाल में सुंदर नितंवों से
हाथों का उनपर वक्र सहारा
पेश करता किसी पेंटिंग का नज़ारा
चेहरे के भावों का दृढ़ संकल्प
ढूढ़ने का जीवन में एक नया विकल्प
[ईमिः30.12.2013]
अच्छा है :)
ReplyDeleteकिसी ने अपनी एक तस्वीर पर कविता लखने को कहा सो..
ReplyDeleteवाह! क्या बात!
ReplyDeleteजिसमें कि ख़ुदा रहता है