Friday, December 13, 2013

खा जाने वाली नज़रों से

कौन क़म्बख्त है सामने
देख रहे हो जिसको खा जाने वाली नज़रों से?
है क्या कोई गुलाम-ए-ज़र फिरे है जो इतराता?
या कोई मुसाहिब अमरीका का
जो पीछा करता जब लड़की का कारिंदों से साहब कहलाता?
या है कोई गलीच इनसे भी बड़ा
सल्वतनती वहम-ओ-गुमां में तेरे सामने अकड़कर खड़ा?
करके इन्हें माफ दुहराओ मंटो की बात
"खुदा कभी मॉफ नहीं करता,खुदा से भी बड़ा है सआदत हसन मंटो "
माना हैं इनके अपराध हैं बहुत संगीन
जहालत तले दबकर परेशान हैं
चकनाचूर हो जायेगा  इनका हिटलरी गुरूर
दरबार-ए-वतन में जब जाएंगे.
[ईमि/13.12.2013]

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