Monday, December 9, 2013

नया विहान

नया विहान
जहां तक है मेरे चुनाव लड़ने का सवाल
है जो पूंजीवाद का आज़माया हुआ बवाल
ये तो है अभी एक उड़ता हुआ खयाल
मजबूत इंकिलाबी पार्टी के न होने का है मलाल
नहीं कोई पार्टी हो जिससे मेल विचारों का
है जमघट सबमें पूंजी के हरकारों का
पाना है मुक्ति ग़र शोषण दमन से
नहीं बनेगा रास्ता सत्ता परिवर्तन से
बदलना पड़ेगा सरमाये का निज़ाम
होगा नहीं यह सांसद बनने से काम
चुनाव तो होगा बस एक जरिया
बदलने का आवाम का नज़रिया
वनेगा जन सैलाब जब मजदूर-किसान
निकलेगा सड़कों पर जब छात्र-नवजवान
मिटा देगा वह नाइंसाफी के सारे निशान
आयेगा इस दुनियां में एक नया विहान
[ईमि/10.12.2013]



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