Monday, December 9, 2013

साम्राज्यवादी अर्थशास्त्र

हैं सदर-ए-मुल्क और वजीर-ए-आज़म अर्थशास्त्री
अर्थशास्त्री ही हैं योजना आयोग सदर और वित्तमंत्री
कर रहे हैं मुल्क को नीलाम मिलजुल कर सभी
साथ हैं इनके अभियान में टाटा-बिरला-अंबानी भी
राज चले अमरीका का जो भी हो सदर-ए-रियासत
करें अदल-बदल कांग्रेसी-संघी-जनतादली सियासत
पढ़ा है इन्होने अर्थशास्त्र साम्राज्यवादी
बेच रहे हैं इसीलिए अमरीका को मुल्क की आज़ादी
जो भी हो झंडे का रंग जैसा भी चुनाव चिन्ह
रहेंगे सबमें शामिल चिदंबरम् और मोंटेक सिंह
सौंप रहे हैं कारपोरेट को जनसंपदा की चाभी
मिल  साथ कारपोरेट के मारते ये गरीबों की आबादी
हैं सब-के सब विश्वबैंक-आईएमएफ के  कारिंदे
गाजर-मूली हैं इनके लिए अपने देश के बासिंदे
कृपा है इनपर नेहरू-गांधी वंशवाद की
उड़ जायेंगे सभी आएगी जब आंधी जनवाद की.
[ईमि/09.12.2013]

2 comments:

  1. बिना पानी जिंदा रह जाने वाली मछलियाँ क्या मरती हैं कभी ?

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