चूंकि कविता एक जनवादी नेता हैं और हम लोग साथ-साथ कई मुद्दों पर लड़ते हैं. कविता की जवाबदेही इसीलिए और जरूरी है कि प्रामाणिकता की जांच किए बिना, मर्दवाद और कठमुल्लेपन के विरुद्ध जंग के असंदिग्ध प्रतिबद्धता बाले एक साथी पर बलात्कारीका ठप्पा लगाकर उसके जमाती-बजरंगी हत्यारों की साथी बन गयीं. मैं खुर्शीद को 32-33 साल से जानता हूं तबसे जब वह 21-22 की उम्र में वह जे.यन.यू. में एमए करने आया. थोड़े ही दिनों में हम अच्छे मित्र बन गए. राजनैतिक मतभेद निजी रिश्तों को नहीं प्रभावित करते थे. जनेवि और उसके बाहर भी खुर्शीद के मित्रों में महिलाओं की संख्या पुरुष मित्रों के लगभग बराबर रही है
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"बलात्कारी प्रवृत्ति" का व्यक्ति 30-35 साल में कभी तो किसी को शिकायत का मौका देता? कल विद्युत शवदाहगृह में उसकी शरीर आग के हवाले करते वक़्त, पढ़े-लिखे सैकड़ों लड़के-लड़कियां; स्त्री-पुरुष क्या एक बला्त्कारी को फफक कर अंतिम लाल सलाम देने आये थे? दर-असल मर्दवाद और हर तरह के कठमुल्लेपन के खिलाफ उसकी आक्रामक मुखरता और कलम की पैनी धार से जमाती-संघी (मौसेरे नहीं, सगे भाई) बौखला गए हैं और विचारों से भयभीत इंसानियत ये कायर दुश्मन व्यक्ति की हत्या कर देते
हैं. ये जाहिल हत्यारे यह नहीं जानते इससे विचारों की आवाज़ और बुलंद हो जाती है. खुर्शीद के हत्यारों को हम बख्सेंगे नहीं.आइए मर्दवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ जंग को बल देकर साथी खुर्शीद को श्रद्धांजलि दें. लाल सलाम दोस्त. आवाम सजा देगा तुम्हारे हत्यारों को. लाल सलाम साथी.
मैं आपसे बिल्कुल सहमत हूं कि नारीवादी प्रज्ञा और दावेदारी के त्वरित अभियान से मर्दवाद बौखलाकर हिंसक हो गया है. लेकिनसापेक्षता का सिद्धांत यहां भी लागू होता है. सहमति-असहमति की स्वीकृति की ईमानदारी या नैतिकता भी मर्जीदवाद की ही तरह जीववैज्ञानिक प्रवृत्ति नहीं है बल्कि समाजीकरण का परिणाम है.
This is the last article of Khurshid Anwar, an alumni of AU who allegedly committed suicide on 18thDecember after protracted vilification in social media and Rajat Sharma's media Khap Panchayat inconnivance with Madhukishvar of "Modinama" fame. Kurshid was a relentless activist against all kinds of fundamentalism and the patriarchy. He was an effectively active voice against atrocities on women.
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"बलात्कारी प्रवृत्ति" का व्यक्ति 30-35 साल में कभी तो किसी को शिकायत का मौका देता? कल विद्युत शवदाहगृह में उसकी शरीर आग के हवाले करते वक़्त, पढ़े-लिखे सैकड़ों लड़के-लड़कियां; स्त्री-पुरुष क्या एक बला्त्कारी को फफक कर अंतिम लाल सलाम देने आये थे? दर-असल मर्दवाद और हर तरह के कठमुल्लेपन के खिलाफ उसकी आक्रामक मुखरता और कलम की पैनी धार से जमाती-संघी (मौसेरे नहीं, सगे भाई) बौखला गए हैं और विचारों से भयभीत इंसानियत ये कायर दुश्मन व्यक्ति की हत्या कर देते
हैं. ये जाहिल हत्यारे यह नहीं जानते इससे विचारों की आवाज़ और बुलंद हो जाती है. खुर्शीद के हत्यारों को हम बख्सेंगे नहीं.आइए मर्दवाद और कट्टरपंथ के खिलाफ जंग को बल देकर साथी खुर्शीद को श्रद्धांजलि दें. लाल सलाम दोस्त. आवाम सजा देगा तुम्हारे हत्यारों को. लाल सलाम साथी.
मैं आपसे बिल्कुल सहमत हूं कि नारीवादी प्रज्ञा और दावेदारी के त्वरित अभियान से मर्दवाद बौखलाकर हिंसक हो गया है. लेकिनसापेक्षता का सिद्धांत यहां भी लागू होता है. सहमति-असहमति की स्वीकृति की ईमानदारी या नैतिकता भी मर्जीदवाद की ही तरह जीववैज्ञानिक प्रवृत्ति नहीं है बल्कि समाजीकरण का परिणाम है.
This is the last article of Khurshid Anwar, an alumni of AU who allegedly committed suicide on 18thDecember after protracted vilification in social media and Rajat Sharma's media Khap Panchayat inconnivance with Madhukishvar of "Modinama" fame. Kurshid was a relentless activist against all kinds of fundamentalism and the patriarchy. He was an effectively active voice against atrocities on women.
भाई एक दूरबीन भी रख दो ना साथ में !
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