Saturday, December 14, 2013

लल्ला पुराण 128

अमरीका और उसके अन्य छुटभैये साम्राज्यवादी  तो मोदी को चाहते हैं क्योंकि मनमोहन से ज्यादा भरोसा अपने फासिस्ट दलालों पर भरोसा है. ये संघी किस सुचिता की बात कर रहे हैं? बसपा से भ्रष्टाचार के आरोप में निकाले गये कुश्वाह का स्वागत करने या हत्याओं समेत तमाम आपराधिक मामलों को सामना कर रहे सपा-बसपा का बीच शंटिंग करने वाले बाहुबली रमाकांत यादव को उम्मीदवार बनाने वाली पार्टी को खांग्रेस के 4 विधायक खरीदने में क्यों आपत्ति हो रही है? 1996 में अटलविहारी सिर्फ एनरान को काउंटर गारंटी देने के लिए 13 दिन का पीय़म बने. जनता के दोनों दलों पर गुस्सा की बात मान रहे हैं, यही गुस्सा जब संगठित रूप लेगा तो तथाकथित मुख्य दलों समेत साम्वाराज्यवाद  के सभी दलालों की राजनैतिक कब्रें खोद देगा.

कांग्रेस के आश्वासन पर चरण सिंह और चंद्रशेखर 2-4 महीने के प्रमं का शौक पूरा कर चुके और वीपी सिंह भाजपाई आश्वासन पर.  इतना पैसा इतने घोटालों में गुजरात में टाटा और अंबानी को लुटाने में, नकली लालकिला बनाने में खर्च किया जा सकता है तो एक और चुनाव में कितना पैसा खर्च होगा. दोनें ही पार्टेयों को सूपड़ा साफ होने का डर है

ये संघी खुद क्यों  नहीं सरकार बनाते, ये जाहिल ये क्यों नहीं  बताते की इनकी घोषित संपत्ति का स्रोत क्या है, अघोषित छोडिये. ये चिंतित इस बात से हैं कि दुबारा चुनाव हुआ तो ये भी कांग्रेस की हालत में पहुँच जायेंगे. यही सवाल आप संघियों से क्यं नहीं पूछते कि मौसेरे भाइयों के साथ मिल-बाँट कर देश लूटने में क्या परेशानी है?

2 comments:

  1. कोई केजरीवाल पर चुनाव थोपने का आरोप लगा रहा था, उस पर कमेंट है.

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