लाल फरारे तेरी कसम इस शहादत का बदला हम लेंगे
लाल सलाम कामरेड खुर(खुर्शीद) लाल लाल लाल सलाम
नहीं जाती व्यर्थ शहादत एक नास्तिक की
बोती है बीज कठमुल्लेपन के अंत की
पुकारती है वह सज्जनता के मौन बहुमत को
और ललकारती है होने को वाचाल
देती है अंर्दृष्टि समझने की
फिरकापरस्ती और कठमुल्लेपन की चालें
फैलाते हैं जो अंधविश्वास और धर्मोंमाद
बन गयी है ग़ज़ल तेरी नारा-ए-अमन
कांप रहे हैं इंसानियत के सारे दुश्मन
नहीं रुकने देंगे हम दोस्त तेरी जंग
तेरी शहादत लाएगी ही रंग
लाल सलाम खुर्शीद
[ईश/20.12.2013]
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