Thursday, December 5, 2013

प्रकृति की देन पर क्या गुरूर


है कुछ खास बात आप में जरूर
हैं प्रतिभा-ओ-हुस्न देन  प्रकृति की
आप सिर्फ रखवाले हैं मेरे हुज़ूर
 न हो कोइ योगदान जिसमें
उसका क्या गुरूर .
[ईमि/०५.१२.२०१२]

2 comments:

  1. सही फरमाया जनाब :)
    पर क्या करें गलतफहमी हो जाती है !

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    1. खुशफहमी मायूशी से बेहतर है

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