Tuesday, December 31, 2013

क्षणिकाएं 6(226-50)

226
सभी जी लेते हैं आसान ज़िंदगी
हमने तो जानबूझ कर  मुश्किलों चयन किया
मिलता जो आत्मबल का सुख
चलते हुए कठिन रास्तों पर
देता वह इतनी ऊर्जा/
आसान लगते कठिन रास्ते
[ईमि/१६.०९.२०१३]
227
मूश्किल जरूर है हवा को पीठ न देना
और चलाना कश्ती धारा के विपरीत
लेकिन नामुमकिन नहीं
हैं इरादे ग़र बुलंद
घर्षण से ही लहरों के
मिलती वह ऊर्जा
चलती जिससे जीवन की गाड़ी
निर्वात कभी नहीं रहता
कभी तुम होते हो
कभी अवसाद
[ईमि/17.09.2013]
228
प्यार में होती है जहां लेन देन की बात

प्यार के नहीं छलावा के होते जज़्बात

[ईमि/17.09.2013]
229
हम क्यों बदलें देख दुनिया की हिमाकत
बेलौस मुहब्बत करते रहेंगे हम
गम-ए-जहां में मिलाकर दिल का गम
अज्म-ए-जुनूं से आगे बढ़ते रहेंगे हम
[ईमि/१८.०९.२०१३]
230
नहीं है डींग हैं ये जंग-ए-आज़ादी का ऐलान
गूलामी-परस्त लोगों में है मच जाता कोहराम
जाता है धुप में जब आज़ादी का कारवाने जुनून
शाये में बैठे शरीफों का बेवजह खौलता है खून
[ईमि/20.09.2013]
231
है ये बेहोशी का आलम मन की  मदहोशी से
फंसते हैं भुलावे में  मन की आँखें न खोलने से
वैसे ही दिखेगी दुनिया सदा गफलत में रहने से
बदलेगी जरूर मगर सजग कोशिस करने से.
[ईमि/19.09.2013]
232
हमेशा गलत शहर में गलत माल लेकर पहुंचती हो
अंधों के शहर में आइना बेचती हो गंजों रे शहर में कंघी
कंघी बेचो अंधों के शहर में गंजों के शहर में बेचो आइना
चाहती हो मुनाफा बेचकर किताब जाहिलों के शहर में?
[ईमि/22.09.2013]
233
कभी कभी चुप रहना ही बेहतर होता है
बिगड़ जाती है बात कुछ कहने से
बात रह जाए तो कोइ बात नहीं
कहने से भी बुरा होता है कह कर न कहना.
[ईमि/०२.१०.२०१३]
234
मौन की मर्यादा
मौन की मर्यादा है यदा-कदा का अस्तित्व
तभी  निरर्थक लगने लगें शब्द जब
या चरितार्थ हो कहावत
भैंस की आगे बजाने की बीन
होना ही पड़ेगा वाचाल
हर और किसी भी उस बात पर
मानवता पर पड़ता असर जिसका
दुष्ट अल्पमत के राज का राज है
आपराधिक मौन शराफत के बहुमत का
आयेगा ही वह वह वक़्त कभी-न-कभी
बोलेन लगेगा जब सज्जनता का बहुमत.
[ईमि/०२.१०.२०१३]
235
आई होगी शर्मिन्दगी उन्हें अपनी किसी बात पर
चुराई होगी आँखें न किया होगा नज़र-अंदाज़
[ईमि/०३.१०.२०१३]
236
पाता  हूँ तुम्हारा ही नाम बार-बार
करता हूँ जब भी गम-ए-दिल का हिसाब
[ईमि/०३.१०.०१३]
237
खोजता हूँ व्यवस्था ज़िंदगी के बिखराव में
और खुशी महबूब के पलकों की छाँव में
[ईमि/04.10,2013]
238
आयेगा जब तूफान-ए-जनवाद

हारेगा ही हर तरह का अधिनायकवाद
[ईमि/04.10.2013]
239
खपाया जा सकता है सर
गाहे-बगाहे ही किताब-ए-दिल में
वरना कितना मुश्किल है इसे पढ़ना
हर पन्ने पर भाषा दिगर हो जाती है
[ईमि/04.10.2013]
240
ये जो ज़िंदगी की किताब है
है दर-असल एक यात्रावृतांत
एक फ़साना सह यात्रा का
साथ अलग-अलग लोगों के
चले साथ हम कुछ दूर जिनके
अलविदा कहने के पहले
फिर भी मिल सकते हैं
फिर कभी संयोग से
अहम् है लेकिन इसमें एक बात
वह है गुणवता इस छोटी सी सहयात्रा की
[ईमि/०४.१०.२०१३]
241
कोरी रहती है दिल की जिल्द जब तक
किताब नहीं कहलाती वह तब तक
चलता है जब जज़बात का कलम
होती है तब दिल की किताब मुकम्मल
[ईमि/04.10.2013]
242
होंगे हिसाब जब भी मिलन की खुशियों के
होगा लेखा-जोखा ग़म-ए-जुदाई का भी
लिखी जायेगी जब भी दिल की किताब
होगा ज़िक्र खुशी-ओ-ग़म का बराबर
[ईमि/05.10.2013]
243
वफ़ा की किताब  कर देती है सीमित
दिल-ओ-दिमाग की यायावरी को
खींचती है दूर बाकी किताबों से
और तोड़ देती है विद्रोह के जज्बात
भली हैं दो-चार सतरें
प्यार और विश्वास की
प्रोत्साहित हों जिनसे
पारदर्शी पारस्पारिकता  के भाव
और आज़ाद जज्बात साथ चलने के.
[ईमि/०५.१०.२०१३]
244
वही तो है खाहिस-ए-खुमारी
बेकरारी से इंतज़ार है उस पल का
कभी-न-कभी  तो मुहब्बत लायेगी ही  रंग. हा हा
[ईमि/05.10.2013]
245
लफ्ज़ ही तो देते हैं किरदार को संवेग
अल्फाज़ के डर से कांपते हैं बड़े बड़े चंगेज
[ईमि/०५.१०.२०१३]
246
इसीलिए कहता हूं बार बार
मकसद नहीं है जीवनेतर ज़िंदगी का
जीना एक सार्थक ज़िंदगी
है खुद एक मुकम्मल मकसद
बाकी सब होता है साथ-साथ
अनचाहे परिणाम की तरह
[ईमि/06.10.2013]
247
यादों की है यही तो खास फितरत
जाकर भी नहीं जातीं और लिखना पड़ता है
विदा गीत कई कई बार
और अंतिम नहीं हो पाता अंतिम विदा गीत भी
अब नहीं लिखूंगा कोई और विदा गीत
आती जाती रहें उंमुक्त यादें
इसी बहाने हो जाया करेगा विचरण
उपवन में अतीत के
[ईमि/06.10.2013]
248
यादें नहीं बेवफा इंसान होता है
यादें तो सनद हैं बेवफाई की
[ईमि/06.10.2013]
249
मैं तो तलाशता हूं मोती रेगिस्तान में
शोरों के बेदर्द शहर में नग्में कहता हूं
एथेंस में रहता हूं सुकरात सा
हाजी समझते हैं मुझे बुतपरस्त
और खैय्याम सोचते हैं हाजी हूं
[ईमि/06.10.2013]
250
हम तो कब से बेताब हैं होने को मुखर
डर है अनसुना रह जाने का

[ईमि/07.10.2013]

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