सही। कोई भी मार्क्सवादी शिक्षक इन मूलभूत मार्क्सवादी संल्पनाओं को पढ़ा होता और जानता है। शिक्षक को सबसे अधिक परेशानी उन बंददिमाग तोतों के पढ़ाने में होती है जो अपने को सर्वज्ञ समझते हैं, और थोथे ज्ञान पर अकड़ से अड़ जाते हैं। और आप मुझे सर्वज्ञ लगते हैं बस बिना संगठन के राजसत्ता पर कब्जा करना बाकी है। अभी आप से नाउम्मीद नहीं हुआ हूं। विद्रोही जज्बात क्रांति की शर्त होती है, क्रांति नहीं। भगत सिंह ने लिखा है, उस पर वैचारिक परिपक्वता की शान चढ़ानी पाती हैं। लेकिन किसी सर्वज्ञ को इसकी जरूरत नहीं पड़ती। सुकरात ने कहा है जो अपने को सर्ज्ञ समझता है वह महा मूर्ख होता है। थोड़ा और धैर्य रखता हूं, जब लगने लगेगा कि आप में समय निवेश समय नष्ट करना है तो आप की बोतों को किसी लंपट बौद्धिक का प्रलाप समझ नजरृअंदाज कर दूंगा। बाय बाय।
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