जन्मदिन पर वैज्ञानिक समाजवाद के मार्क्स के सहसिद्धांतकार, फ्रेेडरिक एंगेल्स को लाल सलाम। एंगेल्स एक मात्र व्यक्ति थे जो मार्क्स को डांट सकते थे और जिन्हें मार्क्स सफाई देते थे। 1871 के बाद दोनों को आसपास रहने का मौका मिला, और जमर्न विचारधारा(1845), होली फेमिली (1846) और मेनिफेस्टों (1848) में सह लेखन के अलावा दोनों एक दूसरे की पांडुलिपियां पढ़ते थे और सुझाव देते थे। ऐंटी ड्यूरिंग में तो मार्क्स ने एक अध्याय भी जोड़ा। मार्क्स के बाद उनकी गोंज-पोच पांडुलिपियों से पूंजी के खंड2 और 3 का प्रकाशन एंगेल्स ने किया। ऐसी बौद्धिक याराना दुर्लभ है। 1851 में मार्क्स ने फ्रांस में वर्ग संघर्ष की पांडुलिपियों की टाइपिंग और डॉकखर्च के लिए धनाभाव की बात की, पैसा देने वाला थोड़ा रौब तो गांठेगा ही। उन्होंने कहा कि इंग्लैंड और अमरीका से इतने पत्र पत्रिकाओं में लिखकर तमाम मिडिऑकर कमा रहे हैं, तुम पैसे की रोते रहते हो। मार्क्स ने कहा कि वे तो जर्मन में लिखते हैं और वे प्रकाशन अंग्रेजी में हैं। इस पर एंगेल्स ने कहा अंह्रेजी में लिखो, मार्क्स 30 दिन अंग्रेजी में लिखने का अभ्यास किया और इकतीसवें दिन न्यूयॉर्क ट्रिब्यून के लिए पहला लेख लिखा। पहले इंटरनेसनल में भी मार्क्स का अधिक लगाव देखकर उन्होंने डांटा था कि उन्हें सारा ध्यान पूंजी पूरा करने में लगाना चाहिए. लेकिन इंटरनेसनल की गतिविधियों में फिर दोनों साथ साथ। इस याराना को लाल सलाम।
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