एक ग्रुप में 1942 में कम्युनिस्ट पार्टी की भूमिका पर विमर्श में कुछ कमेट्स का संकलन।
सबसे पहली बात तो यह समझ लेना चाहिए कि कम्युनिस्ट पार्टी को अंघ्रेजी सरकार सबसे खतरनाक मानती थी, दो बार पूरी पार्टी पर मुकदमे चले. मेरठ केस में तो 2 अंग्रज कॉमरेड भी बंद थे। दूसरी बात जब हम इतिहास बना रहे होते हैं और जब लिख रहे होते हैं या पढ़ रहे होते हैं तो स्थितियां अलग अलग होती हैं। आज हम जानते हैं कि 1942 में सीपीआई के युद्धविरेोधी और बाद में युद्धसमर्न स्टैंड से युद्ध पर कोई असर नहीं पड़ने वाला था और उसे 1942 के आंदोलन में शिरकत करना चाहिए था, जो कि पार्टी उसके बाद मान चुकी थी। आज हम जानते हैं कि 1942 में सीपीआई के युद्धविरेोधी और बाद में युद्धसमर्न स्टैंड से युद्ध पर कोई असर नहीं पड़ने वाला था और उसे 1942 के आंदोलन में शिरकत करना चाहिए था, जो कि पार्टी उसके बाद मान चुकी थी। सोचिए यदि हिटलर सोवियत संघ पर हमला न करता और लाल सेना उसके अहंकार को न चूर करती तो इतिहास और भारत का इतिहास क्या होता?
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