उन्हीं का शहर, वही मुद्दई वही मुन्सिफ
और उन्ही सारे चैनल और अखबार
नहीं छाप सकते वे मालिकों के अत्याचार
तब भी मालिक डरते हैं,
फैल न जायें मुल्क में कहीं वैज्ञानिक विचार
इसीलिए लोगों को गोरक्षा का भक्तिभाव सिखाया जाता है
गोदान से वैतरिणी पार करवा मोक्ष दिलाया जाता है
दिमाग की स्वतंत्रता पर धर्मांधता का अनुशासन चढ़ाया जाता है
नहीं सुनते वे कोई झूठ इसीलिए कि पूछते नहीं सवाल
बड़ों से न कर सकें जिससे छोटे सवाल-जवाब
होती है इससे पुरुखों की पुनीत परंपरा खराब
वे कहते हैं दुनिया से विदा हो चुका मार्क्सवाद
घिरते ही सवालों से हो जाते इसके भूत के शिकार
'वामी-कौमी अभुआते हैं हो जब असहज बात
वे डरते हैं विचारों से करते ज्ञानालय पर कुठाराघात
बताया था गोरख पांडे ने 3 दशक से पहले यह बात
धन-दौलत तोप-टैंक के बावजूद उनके डरने का राज
'वे डरते हैं कि निहत्थी जनता उनसे डरना बंद न कर दे'
एक ही रास्ता है खत्म करने का यह वीभत्स अत्याचार
छोड़ना होगा निहत्थी जनता को डर-डर कर जीने का विचार
एक बार हो जाये यदि निहत्थी जनता निडर
भूल जाए तोप-टैंक; भूत-ओ-भगवान का डर
कांपेगा मालिक डर से थर थर
आइए मिलकर डरायें अत्याचारी को
शिक्षा-ज्ञान-विज्ञान के बलात्कारी को
(बहुत दिनों से रोक रखा था कलम आवारा होने स, लेकिन यह तो आदतन आवारा है)
(ईमि: 122.08.2017)
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