कल MTNL के एक लाइनमैन, ठाकुर सिंह ने रेल हादसों की बहुत सटीक समीक्षा के साथ बताया कि यह ये रेल बेचने की तैयारी के हिस्से हैं। "रेल सरकारी है इसलिए रेल-यात्रा खतरनाक हो गयी है, यह नहीं कहेंगे ये हादसे इसलिए हो रहे हैं कि रेल सेवाएं (पटरी मरम्मत समेत) टेंडर-कमीसन के आधार पर ठेके पर दी गयीं हैं, ठेकेदार का काम हादसा बचाना नहीं, कमीसन की वसूली और मुनाफा है। पहले रेल के अपने कर्मचारी होते थे जो अपनी बिना इंजन की गाड़ी से लाल झंडे के साथ पटरी का मुआयना-मरम्मत करते रहते थे और इस तरह हादसे बच जाते थे। उन्होंने रेल में कैटरिंग के निजीकरण और रेल प्लेटफॉर्म से रोजी कमाने वाले करोड़ों वेंडर जो 150 साल देश की सुरक्षा के लिए खतरा नहीं थे, एकाएक खतरा बन गए और जबरन अदृश्य कर दिए गए। किसी को पता नहीं वे कहां गए, चोरी-राहजनी कर रहे होंगे या भट्ठा-मजदूरी और बहुत से कुंठा में नशा करके मर गए होंगे।" ठाकुर सिंह साल भर में रिटायर होने वाले हैं, पेंसन मिलेगी। लेकिन उनकी चिंता यमटीयनयल की निजी हाथों बेचने की सरकारी मंसूबों को लेकर है। उन्होंने बताया कि 1984 से यमटीयनयल में लाइनमैन की नियुक्ति बंद है। "पिछले साल तक इस जोन में हम 4 थे। पिछले महीने कलम सिंह के रिटायर होने के बाद मैं अकेला बचा हूं, कोशिस करता हूं सभी कंप्लेंट कर लूं लेकिन 4 आदमी काम काम अकेले करने में कुछ छूट ही जाता है। अब सरकार कहेगी कि सरकारी उपक्रम होने के चलते इसकी सेवा खराब है और बेच देगी।"
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