महिला दिवस पर
बिना लड़े कुछ भी नहीं मिलता
लड़ना पड़ता है हक़ के एक एक इंच के लिए
महिला दिवस दुनिया को दो यह उपहार
बंद करो सहना और करो प्रतिकार
मर्दवाद के दुर्गद्वार पर निरंतर प्रहार 
हिल रही हैं दीवारें नारी प्रज्ञा के उभार से
ध्वस्त कर दो बुनियाद दावेदारी के वार से
खंडहर पर इसके बनेगा नया आसियाना 
जौर-ज़ुल्म व भेदभाव हो जाएगा बेगााना 
औरत और मर्द हैं एक से इंसान 
हक़ भा हों दोनों के एक समान 
नहीं ये लड़ाई महज नारी मुक्ति की
छिपा है भेद इसमें समानता की शक्ति की
होगी बंधनमुक्त जब आधी आबादी 
मानवता को मिलेगी तभी पूरी आज़ादी 
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर मेरा यही कलाम
नारी प्रज्ञा ओ दावेदारी को लाल सलाम 
(ईमिः07.03.2008)

सुंदर सन्देश देती रचना...महिला दिवस की बधाईयां...
ReplyDeleteसुंदर सन्देश देती रचना
ReplyDelete