अरुण जी, इतने भाव-विभोर होने की जरूरत नहीं है. फिलहाल के आप समेत जितने भी खिलाड़ी हैं सब कारपेरेटी विकास के विभिन्न खेमें हैं, गैर कारपोरेटी विकल्प की अनुपस्थिति में आप का विकल्प स्वागतयोग्य है. मैंने तो दिल्ली में वोट तो दिया ही प्रचार भी किया क्योंकि इसने राजनीति के विमर्श का रुख बदल दिया और फासीवादी और वंशवादी आक्रात्मकता को रक्षात्मक बना दिया, फासीवादी खेमें में हलचल मचा दिया और पढ़े-लिखे मोदियाये जाहिलों के उंमाद को थोड़ा शांत कर दिया. मुल्क को फौरी खतरा मोदियाये हुए संघी फासीवादी मंसूबों से है, आप ने हिमालय समान गतिरोधक लगा दिया है. केजरीवाल के 16 सवालों ने मोदियाये गुब्बारे की हवा निकाल दिया. अगर ये लोग चाहेंगे तो मैं लोकशभा में भी इनका प्रचार करूंगा.
Friday, March 7, 2014
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