Friday, March 28, 2014

बोझ तो फिर बोझ ही होता है

बोझ तो फिर बोझ ही होता है
उसे उतार फेंकना ही बेहतर है जितनी जल्दी हो सके
कंधों को भी आखिर मुक्ति की चाहत तो होती ही होगी
चाहे प्यार का ही क्यों न हो
बोझ तो फिर बोझ ही होता है
दर-असल रह नहीं जाता प्यार 
लगता है जब भी वह बोझ
(20.03.2014)

2 comments:

  1. बहुत सुंदर । मोदियापे से प्यार की ओर लगता है हो रही है भोर :)

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  2. किसी की पोस्ट पर कमेंट है

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