Friday, March 28, 2014

सपनों की पेटेंटिंग


सपनों की पेटेंटिंग नहीं होती.
हर किसी को आ सकते हैं 
भोग-विलास भूत-प्रेत के सपने
नहीं फर्क पड़ता 
उन सपनों के मरने या जीने से
नहीं ये सपने सरोकार जनकवि पाश के
दुनियां बदलने के सपने हैं 
उनकी चिंता के विषय 
सपने मानव मुक्ति के 
शोषण-दमन से मुक्ति के सपने
सपने एक नई सुंदर दुनियां के
मुक्त होगी जिसमें सामूहिक सर्जन शक्ति
न होगा कोई भगवान न होगी कोई भक्ति
ऐसे सपने हर किसी को नहीं आते
उन्हीं को आते हैं होते हैं जो निष्ठावान
भूत-प्रेत के सपने तो बहुतों को आते हैं
कुछ तो दिन में ही मार्क्स-मार्क्स अभुआते हैं
देखेंगे ही इंक़िलाबी सपने सभी एक-न-एक दिन
मुक्त हो जायेंगे जब भूत-प्रेत की छाया से
ऐश-ओ-आराम की मोह-माया से 
मिलकर गढ़ेंगे सब तब एक नया बिहान
इंसान होंगे सब एकसमान
(ईमिः29.03.2014)

2 comments:

  1. वही देखते हैं सपने जिनमें दम होता है झेलने का अत्याचार और उसे नेस्त-नाबूत करने का जज्बा

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