381
बहुत तेज होता
है फासीवाद, करता है अफवाहें ईजाद
पैदा करने को
फिरकापरस्त धर्मोंमाद, और फैलाने को नफरत की आग
करवाता है फिर
भीषण जनसंहार, लूट, आगजनी और
बलात्कार
मनाता है
शौर्यदिवस मर्दानगी का, फासीवादी लंपटों की हैवानगी का
जानता है यह
राज़ मुल्क का थैलीशाह, मुनाफे की फासीवाद में गुंजाइश अथाह
छिपकर ही नहीं
खुलकर भी देता वह इसका साथ, दिख जाता है सबको बाजार का अदृश्य हाथ
लिख गये हैं
गोरख पांडेय कुछ दशक पहले, उगती हैं दंगों की जमीन पर मतदान की फसलें
जागेगा ही आवाम
लेकिन एक-न-एक दिन, होगा वह फासीवादी मंसूबों का अंतिम दिन
फैलेगी मुल्क
में फिर से सामासिक संस्कृति, होगी नहीं जिसमें फिरकापरस्ती की विकृति
(ईमिः 27.02.2014)
382
खालिस इंसान
नहीं चाहता खुदा की बरक्कत इस दुनिया में
एक ही चाहत है
मन में हमारे कि इस दुनिया में
कि हर किसी को
बस इंसानियत का आयाम मिले
और दुनिया को
अमन-ओ-चैन का बरदान मिले
न कोई भगवान बने
न कोई हैवान बने
हर कोई खालिस
इंसान सा इंसान बने
(ईमिः 03.03.2014)
383
विकास दर
बढ़ता ही जाता है गरीबी और
भूख का राज
होता है जैसे-जैसे पूंजीवाद
का विकास
करता है इंसान उत्पादन के
नये तरीके ईज़ाद
हो जाती श्रम-शक्ति की
उत्पादकता इफरात
बढ़ता है श्रम का उत्पाद, होता समृद्ध समाज
हड़प लेता सबकुछ मगर थैलीशाह
दगाबाज
लेती जितनी ही ऊंची उछाल
विकास दर
होता उतना ही परेशान और हताश
कामगर
निकलेगी ही इस हताशा से एक
नई आशा
होगी वर्गचेतना से दूर
एकाकीपन की निराशा
होगा मेहनत के फल पर मेहनतकश
का अधिकार
होगा मानव-मुक्ति का सपना जब
साकार
बढ़ेगा जितना ही तब विकास दर
उतना ही होगा खुशहाल कामगर
(ईमिः08.03.2014)
384
महिला दिवस पर
बिना लड़े कुछ भी नहीं मिलता, लड़ना पड़ता है हक़ के एक एक इंच के
लिए
महिला दिवस दुनिया को दो यह
उपहार, बंद करो सहना और करो
प्रतिकार
मर्दवाद के दुर्गद्वार पर
निरंतर प्रहार,
हिल रही हैं
दीवारें नारी प्रज्ञा के उभार से
ध्वस्त कर दो बुनियाद
दावेदारी के वार से
खंडहर पर इसके बनेगा नया
आसियाना, जौर-ज़ुल्म व भेदभाव हो
जाएगा बेगाना
औरत और मर्द हैं एक से इंसान, हक़ भी हों दोनों के एक समान
नहीं ये लड़ाई महज नारी
मुक्ति की, छिपा है भेद इसमें समानता की शक्ति की
होगी बंधनमुक्त जब आधी
आबादी, मानवता को मिलेगी तभी पूरी आज़ादी
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस
पर मेरा यही कलाम, नारी प्रज्ञा ओ दावेदारी को लाल सलाम
(ईमिः07.03.2008)
385
दोगलेपन की पहचान है संघी, सांम्राज्यवाद का कारिंदा संघी
सच से रहता दूर है संघी,. अफवाहों का पुलिंदा है संघी
पैदल होता दिमाग से संघी, करता ज़हालत का प्रसार है संघी
लाशों का ब्यापारी संघी, नफरत का हुंकारी संघी
आवाम का है दुश्मन संघी, टाटा का सेवक है संघी
अंबानी का राजदुलारा संघी, गांधी का हत्यारा है संघी
लगाता गांधीवाद का नारा संघी, अमरीका का दरबारी संघी
हिटलर का है पुजारी
संघी, फासीवाद का हरकारा संघी
गांधी का हत्यारा संघी, देता गांधीवाद का नारा संघी
करता पीयम का ऐलान है संघी, बघारता तटस्थता ज्ञान है संघी
फैलाता नफरत का ज़ुनून है
संघी, बताता इसको कुदरत का कानून
संघी
बजरंगी हैवान है संघी, मोदियापे की शान है संघी
.................,
(ईमिः12.03.2014)
386
पुनश्चः
खाक में मिल गये जब सब हिटलर
हलाकू
किस खेत की मूली हैं
वहाबी-बजरंगी फेकू
टकराती है काली टोपी जब भी
आवाम से
भष्म हो जाती है
जंग-ए-आज़ादी के ताप से
धर्म-जाति की तंद्रा से जब
जागेगा इंसान
मिट जायेगा गोली-टोपी
खाकी-निक्कर का निशान
आयेगी ही जब जनवाद की आंधी
धूल में मिल जायेंगे सब नकली
गांधी
(ईमिः12.03.2014)
387
पुनः पुनश्च
सुन असलियत अपनी बौखलाता है
संघी
गाली-गलौच में बड़बड़ाता है
संघी
(ईमिः12.03.2014)
388
है जहां तक एमजे अकवर की बात
दिखा दी उनने भी अपनी औकात
हुई है ऐसी जरूर कोई खास बात
गिरगिट बन जाते हैं लोग रोत-ओ-रात
दिखा दी उनने भी अपनी औकात
हुई है ऐसी जरूर कोई खास बात
गिरगिट बन जाते हैं लोग रोत-ओ-रात
(ईमिः11.03.2014)
389
सवाल करते रहो
मिलेगा ही जवाब कभी-न-कभी
सुबह ही की तरह
शाम जश्न मनाओ मिल सभी
छेड़ो दिल से
कोई इंक़िलाबी राग
सीने में दहकेगी
प्रज्वलित आग
मक्सद नहीं है
ज़िंदगी का खोना या पाना
मक्सद है जीने
का लुत्फ उठाना
जीने में हैं
ग़र उसूलो-ओ-सरोकार
मिलते हैं
अनचाहे परिणामों के उपहार
करते रहो सवाल
हर बात पर बार-बार
मिलते रहेंगे
नये-नये जवाब लगातार
होता है इसी से
ज्ञान का विकास
करता है मानव
सायास प्रयास
बदलता है मानव
जीने के हालात
पाता है समाज
उपलब्धियों की सौगात
(ईमिः15.03.2014)
390
पड़ता है कोई
शख्स जब दल-बल पर भारी
बन जाता है वह
तब एक क्रूर अत्याचारी
करता है मुल्क
के साथ धोखाधड़ी और फरेब
कहता है इन सबका
है जिम्मेदार औरंगजेब
फैलाता है मुल्क
में नफरत का संदेश
तोड़ता है
पार्टी पहले फिर तोड़ता है देश
देता है जनसंहार
और बलात्कार का आदेश
हैवानगी को अपनी
बताता है जनादेश
पढ़ता नहीे है
वह इसीलिए कोई इतिहास
कि तानाशाहों का
होता है सदा सर्वनाश
चाहते हैं ग़र
हमारा-अपना-मुल्क का भला
चुनावी हवनकुंड
में कर दें नमो-नमो स्वाहा
(ईमिः15.03.2014)
391
हर हर मोदी का
यह उंमादी उत्पात
नहीं कर पायेंगे भोले शंकर भी बर्दाश्त
हुई है कलंकित
काशी पहले भी मानवता के हत्यारों से
अल्ला-हो-अकबर
और हर हर महादेव के नारों से
थैलीशाह के
इशारे पर फैलाते हैं ये अफवाहें औ उन्माद
और बताते है
इसमें अल्लाह और महादेव शंकर का हाथ
करवाते लूट-पाट
और गरीब से गरीब का रक्तपात
मार-काट, आगजनी, बलात्कार और लूटपाट
काशी नगरी में
फैला देते थे नफरत की आग
अलापते हुए
अल्लाह और महादेव का राग
बहुत छली गयी है
काशी अब और नहीं छलायेगी
मज़हबी तंद्रा
से काशीवासियों को जगायेगी
बनायेगी उनको
हिंदू-मुसलमान से इंसान
हर हर मोदी का
मिटा देगी नाम-ओ- निशान
काशी की खाशियत
की है एक और बात
आते हैं यहां
सभी पापी धोने अपना पाप
धो नहीं पाती है
गंगा जिन पापियों के पाप
करवाती है नगरी
यह उनसे पश्चाताप
पहुंचा देती है
वरना उनको मनिकर्णिका घाट
(ईमिः16.03.2014)
392
मोदी लहर है एक
अफवाह, हिटलर के कुत्तों की वाह वाह
उठेगी बनारस से
जो चिंगारी, खाक करदेगी नगपुरिया मक्कारी
सिखलायेगी सबक
इनको काशी, बनेगी जो मोदियापे की सत्यानाशी
नमो नमो स्वाहा, संघी जहालत स्वाहा, अंबानी की दलाली
स्वाहा
टाटा की
कुत्तागीरी स्वाहा, काली टोपी स्वाहहा
खाकी निक्कर
स्वाहा, नमो नमो स्वाहा
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