महिला मुक्ति मानव-मुक्ति के अभियान का अभिन्न हिस्सा है. नारी सशक्तीकरण का उद्देश्य प्रति-वर्चस्व नहीं, बल्कि मरहम लगाना और पारस्परिक सहायता है; प्रति-असामनता नहीं, समानता के सुख और शक्ति का गुणगान है। आइए आज 8 मार्च 1857 को महिला कामगरों के पहले संगठित आंदोलन को याद करते हुए, भेदभाव से मुक्त समानता की शक्ति के साथ समानता के सुख के जीवन का संकल्प लेकर "रोटी और गुलाब" के उनके नारे को तार्किक परिणति तक ले जाने में योगदान करें. नारीवादी आंदोलन की शुरुआत संभ्रांत नहीं मजदूर महिलाओं ने किया. नारी प्रज्ञा और दावेदारी के अभियान में जारी अभूतपूर्व उफान को सलाम इस फुटनोट के साथ कि आज हम जिस आज़ादी और अधिकार के आधार पर आगे के संघर्षों की रूपरेखा तैयार कर रहे हैं वह पिछली पीढ़ियों के सतत संघर्षों का परिणाम है. नारी-प्रज्ञा और दावेदारी के जारी अभियान को सलाम.
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