Friday, March 21, 2014

नमो नमो स्वाहा

शौक है अपना मोदिआए ज़ाहिलों को रुलाने का
खॉब है हमारा एक सुंदर दुनिया बनाने का
हरामखोरी और दुख-दर्द को दूर भगाने का 
समता और जनवाद के ज़ज़्बात को जगाने का
किया फैसला हमने कंटीले रास्तों पर चलने का
पग-पग पर मौजूद ठोकरों को धता बताने का
नभ में चमक रही थी चपला  फिर भी नहीं तनिक मैं विचला
ओलों की बूंदाबांदी में  उदधि थहाने था जब निकला
छेड़ा है फासीवादी मंसूबों के खिलाफ अभियान
चलता रहेगा जब तक जान में है जान
मिटा देंगे मोदियापे का नाम-ओ-निशान
लायेंगे ही हम दुनिया में एक नया बिहान 
जागेगा इस मुल्क का छात्र-ओ-नवजवान
दफ्न हो जायेगा तब मोदियापे का शैतान
मुक्त होगा ज़ुल्म से मजदूर-ओ-किसान
मिट जायेगा ज़ुल्म-ओ-सितम का निशान
बनेगा तब इंसानियत का आलीशान मकान
न कोई रंक होगा न होगा कोई राजा
ताज़-ओ-तख्त का तब बज जायेगा बाजा.
होगा निज नियंत्रण अपनी सर्जनात्मकता पर
मालिकाना हक़ अपने श्रम की उत्पादकता पर
हक़ीकी इरादे हैं ये नहीं कोई फसाना 
आना ही है अब मानव-मुक्ति का नया जमाना.
और अंत में
लूट-खसोट स्वाहा, नमो नमो स्वाहा
फासीवाद स्वाहा, नमो नमो स्वाहा
हुटलर की विरासत स्वाहा, नमो नमो स्वाहा
अंबानी की गुलामी स्वाहा, नमो नमो स्वाहा
अदानी की दरवानी स्वाहा, नमो नमो स्वाहा
टाटा की रहनुमाई स्वाहा, नमो नमो स्वाहा
मोदियापे की ज़हालत स्वाहा, नमो नमो स्वाहा
(ईमिः21.03.2014)




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