Monday, March 24, 2014

मोदी विमर्श 16

मामला दंगा रोकने की नहीं करवाने की है. मोदी दंगे न करवाता तो दुबारा चुनाव न जीत पाता और आज हर हर मोदी की जहालत की उत्पात नहीं मच हाती, यह जाहिल, संघी प्रचारक निक्कर पहने कबड्ड़ी और खो खेल रहा होता. यदि अटल बिहारी राजधर्म का शगूफा न छोड़कर अमल करता तो यह नरपिशाच प्रधानमंत्री का सपना देखने की बजाय बाबू बजरंगी और माया कोडनानी के साथ जेल में मशक्कत कर रहा होता. यदि न्यायपालिका और पुलिस बिकी हुए न होती तो मानवता का यह दुशमन सजा-ए-मौत का हक़दार होता.

Anjali Sharma संघियों के पास दिमाग इस्तेमाल करने की क्षमता होती तो क्या कहने? अंजली जी ज़रा सोचिये गोधरा में जिन गरीबों को मोदी ने जलाकर मरवाया उनमे यदि आपकी मा भी होती तो कैसा  लगता? जिस औरत का गर्भ फाडकर भ्रूण को आग के हवाले किया नरपिशाच मोदी के बजरंगी बीरों ने वह आप या आपकी मा-बहन होती तो कैसा लगता? जिन मासूमों को मारा और बेघर किया उनमें आप का भाई बाप होता तो कैसा लागता?. जिन महिलाओं के साथ सामूहिक-सार्वजनिक बलात्कार-ह्त्या  किया मोदी के बजरंगी पिशाचों ने उनमें से आप होती तो कैसा लगता? मजा आता? अगर आप बिलकिस बानो की जगह होती और दसियों आतताइयों की टांगों के नीचे के गुजरने के बाद बच  जाती तो बाकी ज़िंदगी उन क्षणों की सुखद यादों के साथ कितना मज़ा आता? दिमाग का इस्तेमाल करें अंजलि जी, किसी नरभक्षी नर्पिशः की वन्दना के पहले. मुझे तो आप के औरत होने पर संदेह है क्योंकि कोइ औरत घोर नारी विरोधी/मनुवादी संघ की हिमायती कैसे हो सकती है?

The function of state is to protect the person and property of the citizens, even if we agree for a moment that Modi did not conduct the pogroms and mass-gang rapes, the bajrangi lumpens did on their own, and Modi as a CM was helpless to stop the in human monstrous aacts by VHP and Bajarangis and fake encounters by Banzaras the he is incompetent and inefficient administrator must be tried for dereliction of duties. suppose he becomes PM and such inhuman crimes against humanity happen at national level and that paid agent, the fascist scoundrel takes the recourse that he could not stop them in helplessness? All the devotees of Modi are duffers as they cant recite a single reason for making a fascist duffer as their God.

मोदी के भक्त यह नहीं बताते कि वे कैसे भारत का विकास करेंगे गुजरात जैसा जिसमें मुल्क का अम्बानियों-अदानियों को गिरवी रख देंगे जिनके वे जरखरीद गुलाम हैं जिन्हें अपने बाप की जागीर समझ किसानों की जमीनी दहेज़ दे दी है. ज्यादातर मोदी-बहकत पढ़े-लिखे जाहिल हैं क्योंकि वे इस ह्त्या-बलात्कार के आयोजक जाहिल का साम्प्रादायिक नाफरल फैलाने के अलावा  एक गुण नहीं बताते जिससे वे इनका भगवान् बन गया. जो दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते वे जाहिल हैं.

मार्क्स-लेनिन इंसानियत के सेवक रहे हैं, नास्तिक जो जप-तप में यकीन नहीं करते. मैं पढ़े-लिखे मोदियाए लोगों को इस लिए जाहिल कहता हूँ कि वे दिमाग का इस्तेमाल नहीं करते. आज तक नफ़रत की फसल काटने की महारत और अडानी-अम्बानी की जर्खरीदी के सिवा इस इतिहास बोध से वंचित नरपिशाच का एक भी गुण नहीं बता पाते जिससे वह इनका अराध्य हो गया.

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