Friday, March 14, 2014

सवाल-जवाब

सवाल करते रहो मिलेगा ही जवाब कभी-न-कभी
सुबह ही की तरह शाम जश्न मनाओ मिल सभी
छेड़ो दिल से कोई इंक़िलाबी राग 
सीने में दहकेगी प्रज्वलित आग
मक्सद नहीं है ज़िंदगी का खोना या पाना 
मक्सद है जीने का लुत्फ उठाना 
जीने में हैं ग़र उसूलो-ओ-सरोकार
मिलते हैं अनचाहे परिणामों के उपहार
करते रहो सवाल हर बात पर बार-बार
मिलते रहेंगे नये-नये जवाब  लगातार
होता है इसी से ज्ञान का विकास 
करता है मानव सायास प्रयास 
बदलता है मानव जीने के हालात 
पाता है समाज उपलब्धियों की सौगात
(ईमिः15.03.2014)

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