चिराग जलता रहेगा सहर होने तक
जंग चलता रहेगा अमन अाने तक
डर है कि काले बादलों से न घिर जाये माहताब
दाग़दार न हो जाये इक नई सुर्ख सुबह का ख़ाब
अाम अादमी की भूमिका में थे जब अाप
सोचा था लोगों ने कम होगा कुछ संताप
मगर बनते ही खास अाम से
दफ्न किया नैतिकताअाराम से
उतार फेंका अाम अादमी का चोंगा
अावाम को दुत्कारा कह पंडित पोंगा
अपनाया सत्ता पाने की मैक्यावली की सलाह
किया न मगर चलाने के मशविरों की परवाह
अवश्यंभावी है उसी तरह अापका सर्वनाश
हो रहा है जिस तरह वंशवाद का सत्यानाश
क्रांति का बीज जब बोयेगा अावाम
होगा सब फरेबियों का काम-तमाम.
(ईमिः29.03.2015)
No comments:
Post a Comment