जब भी
होता है रिश्तों में मिल्कियत का भाव
आ ही
जाता है उनमें थोड़ा बहुत दुराव
आज़ाद-खयाली
है मानव का कुदरती स्वभाव
मौत
से पहले होता नहीं ज़िंदगी का आखिरी पड़ाव
रिश्ते
हों अगर स्वामित्वबोध से आज़ाद
फलती-फूलती
आशिकी होती आबाद
प्यार-मुहब्बत
ज़िंदाबाद.
(ईमिः25.04.2015
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