Saturday, April 4, 2015

क्षणिकाएं 43 (641-50)

641
पहले तो देता हूं उस कलाकार की दाद
बनाया है जिसने ये अद्भुत कोलाज़
पूरी हो उसकी होलियाने की मुराद
रहे वो चाहे मिर्जापुर में चाहे इलाहाबाद
नहीं अाती मगर समझ में ये बात
पुष्पा की अदृष्य मूंछों का क्या राज
कहां गयीं रेणुयें रमेश अौर सोनकर
मस्त होंगी कहीं सुध-बुध खोकर
ईश मिश्र की मूंछों पर काला बरैकट
सफेदी पर कालिख का आसन्न संकट
निकल जाती ये बात अक्सर दिमाग से
40 साल पहले थे 20 साल के
यौनाओं से करते अाशिकी की बात
पड़े चांद पर चाहे जितने लात
लेते हैं ईश्वर से हमेशा पंगा
भक्त कर देंगें उनको भला चंगा
संजय की मूंछें तो उगते ही तन गयीं
राणाप्रताप की तलवार बन  गयीं
दिखता नहीं वो सदाबहार अाशिक
मारता है कुलाचें लौंडों की माफिक
नाम नहा उसका शशांकशेखर
पड़ा होगा कहीं भांग पाकर
अापूर्ति में अाई बाढ़ अनोखी/
पेंद्र की मूंछें हो गयीं काली चोखी
दिख नहीं रही वाचाल अनुराधा
अाशिकी में गयी होगी बाधा
अरुण दिख रहे अाशिक मायूस
गाफिल ने  लगाया है पीछे जासूस
किसकी है टेढ़ी ये भंगिमा
लगती तो हैं त्रिपाठी प्रतिमा
कहां गयी श्रीवास्तव अारती
अाशिकी जिनकी कुलाचें मारती
बंद करता हूं अब .ये फगुअा
ता हूं सभी को हजारों अाशिकी की दुअा.
 बुरा ही मानो होली है.
(ईमिः 04.03.2015)
642
बहुत मजबूत है तुम्हारा पुलिस अौर बाउंसरों से रक्षित दुर्ग 
मगर हमारे विप्लवी जज्बातों से कमतर
जनबल की दस्तक से ही टूट गिरेगा दुर्गद्वार
एक ही धक्के में ढह जायेगा ज़ुल्म का किला 
(ईमिः 12.03.2015)
643
बजट 2015-16
आओ आओ आओ
सभी लोग आगे आ जाओ
बच्चों आओ बूढ़ों आओ
नवजवान तो आओ आओ
आओ बैठो और सुनो
सुनो सुनो सुनो
अच्छे दिन की व्यथा सुनो
विकास बजट की कथा सुनो
बेदखली की व्यथा सुनो
आओ बैठो और सुनो
सुनो सुनो सुनो
सुनो और गुनो
कहा वज़ीर-ए-आजम ने राष्ट्र की तरक्की
किया वज़ीर-ए-खारजा ने इक नूरानी बजट की पेशगी
वाचाल हो गये हैं विकास से बैर रखने वाले
लग जायेंगे जुबां पे उनके मगर ताले   
बताते इसे जो कॉरपोरेटी बजट का सरताज
तो क्या भूखे-नंगे करेंगे राष्ट्र का विकास
दिखता नहीं इन्हें भूमंडलीय पूंजी का संकट
लग जायेगा विश्व-बंधुत्व पर कलंक एक विकट
है ये निवेश के विकास का यह जो बजट
बताते हैं ये इसे मुल्क के साथ छल-कपट
करता नहीं बजट कटौती में भेद-भाव
कम करता है बजट शिक्षा का और घटाता है कारपोरेट
करता कटौती शिक्षा-स्वास्थ्य के मद में
और बढ़ाता दवा का दाम
विकासशील राष्ट्र में भूखो-नंगो का क्या काम
बीमारियां कर देंगीं इन सबका इंतज़ाम
भूखे-नंगों से मुक्त करना है ग़र आवाम
बहुत ऊंचा रखना पड़ता है दवाओं का दाम
शिक्षा का बजट होता नहीं पहले भी बहुत ज्यादा
हो जाते थे तब भी कुछ घुरहू-रमझू पढ़ने पर आमादा
इस बजट ने किया है बढ़िया इंतजाम
स्वास्थ्य-शिक्षा नहीं है सरकार का काम
शिक्षा है मूल्यवान सामग्री
दाम बिना न मिलेगी डिग्री
खुली हैं दुकानें तरह तरह के ज्ञान की
कोचिंग से विश्वविद्यालय तक के संज्ञान की
होती न अगर शिक्षा-स्वास्थ्य के बजट में कटौती
कैसे हो पाती रक्षा बजट में इतनी अधिक बढ़ोत्तरी
सेना है राष्ट्र की महानता का साश्वत मानदंड
बगल में है दुश्मन देश पाकिस्तान महा उद्दंड
बेचता है अमरीका दोनों देशों को हथियार
हो जायगा वरना वहां का सैन्य उद्योग बेकार
खत्म नहीं हुई है अभी बजट की पूरी कहानी
मगन हैं मगर दुनिया के सारे अडानी-अंबानी
644
बजट पुराण
बजट है घोर राष्ट्वादी इस बार
खुश हो गया है कॉरपोरेटी संसार
यह बज़ट है इतना आलीशान
देश बनेगा अवश्य महान

अच्छे दिनों के दिखते हैं निशान   
चकमक चमकेगी कॉरपोरेटी शान
बेबस होंगे जब मजदूर किसान
राष्ट्र बनेगा तभी महान
यह बज़ट है इतना आलीशान
देश बनेगा अवश्य महान

बनना है मुल्क को जो दुनिया में बड़ी ताकत
बजट से होगी विदेशी पूंजी की बहुत लागत
करती नहीं ये बजट बढ़ोतेतरी में भेदभाव
बहुत ही निष्पक्ष है इसका राष्ट्रवादी स्वभाव
बढ़ायेगा नहीं तेजी से अमीर की अमीरी ही
बढ़ायेगा उसी गति से गरीब की गरीबी भी
असमानता ही नहीं बढ़ेगी परकैपिटा इनकम भी
आय के औसत में एक से हैं रमझू-ओ-अंबानी
देश बनेगा उतना ही महान
बौना होगा जितना इंसान
यह बज़ट है इतना आलीशान
देश बनेगा अवश्य महान

कटौती में भी ये बजट करता नहीं पक्षपात
हो जैसे युधिष्ठिर के धर्मराज्य की कोई बात
करता नहीं कटौती सिर्फ कारपोरेट के कर में ही
करता है कटौती शिक्षा-ओ-स्वास्थ्य के मद में भी
राष्ट्र बनेगा उतना ही महान
जितने ऊंच-नीच होंगे इंसान
यह बज़ट है इतना आलीशान
देश बनेगा अवश्य महान

शिक्षा है मूल्यवान सामग्री
दाम बिना न मिलेगी डिग्री
खुली हैं दुकानें तरह तरह के ज्ञान की
कोचिंग से विश्वविद्यालय तक के संज्ञान की
होगी जिसकी जेब गरम जितनी
मिलेगी शिक्षा उसको उतनी
देश बनेगा उतना ही महान
लेफैगा जितना अज्ञान
यह बज़ट है इतना आलीशान
देश बनेगा अवश्य महान
स्वास्थ्य है हर व्यक्ति का निजी मामला
निजता पर यह बजट न करेगा हमला
जरूरी नहीं है सबका रहना सेहतमंद
इलाज होगा उनका जो होंगे कर्मठ दौलतमंद
वैसे भी  मुल्क की है बेइम्तहां आबादी
फिजूल है गरीब के इलाज पर धन की बर्बादी
मरेगा अगर भूख से तो लगेगा सरकार पर इल्जाम
रोग से मरेंगे तो छपेगा स्वाभाविक मौत का नाम
करेगी सरकार ग़र हर गरीब का इलाज
कैसे चलेगा मेडिकल-माफिया का कामकाज़
देश बनेगा तभी महान
बेइलाज मरेगा जब इंसान
यह बज़ट है इतना आलीशान
देश बनेगा अवश्य महान

गांव हैं मुल्क के पिछडेपन की निशानी
शर्मसार करते मुल्क को किसान-ओ-किरानी
गांव के शहरीकरण की है विश्वबैंक ने ठानी
लिखता है ये बजट स्मार्ट सिटी की कहानी
है इस बजट में मुकम्मल प्रावधान
न बचेगा किरानी न बचेगा किसान
यह बजट है इतना आलीशान
राष्ट्र बनेगा अवश्य महान

पहले ही कट चुकी है खाद-पानी की सब्सिडी
खत्म नहीं हुई तब भी किसानों की मौजूदगी
देश बनेगा तभी महान
खेती होगी जब उद्योग समान
कैसे खडा होगा कृषि-उद्योग का वजूद
देहातों में रहेंगे जब तक किसान मौजूद
करता है ये बजट पूरा इंतजाम
करने को किसानी का काम तमाम
राष्ट्र बनेगा तभी महान
उठ जायेगा जब धरती से किसान
यह बजट है इतना आलीशान
राष्ट्र बनेगा अवश्य महान

करेगा वालमार्ट अब यहां पर किसानी
देगा वही अब हम सबको दाना पानी
राष्ट्र बनेगा तभी महान
कॉरपोरेट बनेगा जब नया किसान
यह बजट है इतना आलीशान
राष्ट्र बनेगा अवश्य महान

मिलेगा नहीं मजदूर को कोई भी अधिकार
फैलेगा वरना उनमें कामचोरी का विकार
करेगे वे वाजिब मजदूरी का विचार
झंझट में पड़ेगी कॉरपोरेटी सरकार
बजट ने किया है ऐसा प्रावधान
बने रहें मजलूम मजदूर-किसान
राष्ट्र बनेगा तभी महान
भूख सहेगा जब आम इंसान
यह बजट है इतना आलीशान
राष्ट्र बनेगा अवश्य महान

नहीं है यह बजट नमकहरामी का
व्यर्थ नहीं होगा चुनावी निवश अंबनी-अडानी का
मध्ययुगीन है मुल्क का फुटकर बाजार
करना है उसमें मूलभूत सुधार
नहीं रहेंगे आढ़तिये और किरानी शेष
मिट जांयेगे ये मुल्क के मध्ययुगीन अवशेष
हर कस्बे में खुलेगी जब वालमार्ट की दुकान
भूमंडलीय हो जायेगी फुटकर बाजार की शान
राष्ट्र बनेगा तभी महान
विदेशी पूंजी की जब बढ़ेगी शान
यह बजट है इतना आलीशान
राष्ट्र बनेगा अवश्य महान
बेचेगा वालमर्ट मुल्क में नमक तेल
जेनेटिक फसलों की होगी रेलमपेल
चलाते जितना कारोबार बयालिस करोड़ लोग
वालमार्ट करता उसके दहाई मजदूर प्रयोग
बढ़ेंगे मुल्क में बेइम्तहां बेरोजगार
सस्ते श्रम से चलेगा कॉरपोरेटी कारोबार
देश बनेगा तभी महान
त्रस्त रहेगा जब आम इंसान
यह बजट है इतना आलीशान
राष्ट्र बनेगा अवश्य महान

पानी है दुनिया की बहुत ही अहम चीज
प्रबंधन के बिना हो गया है नाचीज
प्रबंधन पर है कारपोरेटी एकाधिकार
पानी के निजीकरण के हैं इसमें विचार
मिलेगा तब पानी को पूरा सम्मान
बीयर से अधिक होगा उसका दाम
राष्ट्र बनेगा तभी महान
पानी को तरसेगा जब आम इंसान
यह बजट है इतना आलीशान
राष्ट्र बनेगा अवश्य महान

होती न अगर सोसल सेक्टर के बजट में कटौती
हो न पाती रक्षा बजट में इतनी अधिक बढ़ोत्तरी
फैलेगा न अगर युद्धोंमादी राष्ट्रवाद
रुक जायेगा मुल्क का आर्थिक विकास
इसीलिये इजाफा किया बजट में विध्वंसक हथियारों के
तोप, टैंक और युद्धक विमानों के
जब देखो इतराता है कल का पाकिस्तान
बम गोलों से बना सकें जिससे वहां रेगिस्तान
मांगती है महानता एक महान सेना
हथियारों की दलाली में सुरक्षित है लेना-देना
यह राष्ट्र बनेगा तभी महान
शस्त्र बाजार को जब देगा अनुदान
यह बजट है इतना आलीशान
राष्ट्र बनेगा अवश्य महान

सेना की मजबूती इसलिये भी जरूरी
कश्मीर में रहते हैं काफी कशमीरी
जिसके आधे में है पाकिस्तानी सेना काबिज
आधे पर हिंदुस्तानी कब्ज़ा है बिल्कुल वाज़िब
पाकिस्तान ने भी बढ़ाया है रक्षा बजट
मिल दोनों दूर करेंगे उपमहाद्वीप का संकट
करेंगी दोनों सरकारें अावाम का निर्बाध  दमन
गूंजेगा जब तक राष्ट्रवादी नारों से गगन
खिलखिलायेगा थैलीशाहों का चमन
फैलेगा तब इस भूभाग में चैन-अमन
नहीं है सीमित कश्मीर तक बगावत
फैली मध्य भारत होते दक्षिण पूर्व तक
देश बनेगा तभी महान
होगी जब सेना बलवान
यह बजट है इतना आलीशान
राष्ट्र बनेगा अवश्य महान

यह बजट है वाक़ई बहुत महान
छोटों का छोटा बड़ों का बड़ा लगाती हिस्सा समान
यह बजट है इतना आलीशान
राष्ट्र बनेगा अवश्य महान
(ईमिः 17.03.2015)
645
कायर होता है हमलावर अौर निहायत डरपोक
डराना चाहता है हमें हथियरो के बूते
नहीं जानता वह मूर्ख यह बात
डरता नहीं  क्रांतिकारी न भूत से न भगवान से
जानता है वह यह  रहस्य
कि डर डर कर जी नहीं जाती ज़िंदगी
डर डर कर मरता है नामाकूल मंद गति से
जानता नहीं वह निडर ज़िंदगी का लुत्फ
लिख रहा था किशोर भगत सिंह जब क्रांतिकारी अांदोलन का इतिहास
पूछा था इक सवाल खुद से
कि क्यों लड़ता है इंकिलाबी मज़लूमों के लिये
खुद-ब-खुद दिया था जवाब खुद को
कि क्योंकि अौर कोई रास्ता नहीं है उसके पास
डर कर हमलावर हो रहा है कायर डरपोक
क्योंकि हमने डरना बंद कर दिया है.
(ईमिः21.03.2015)
646
जो डरते हैं वे जीते नहीं, खींचते हैं ज़िंदगी पशुवत
करते हैं वफादारी कुत्तों की तरह किसी बड़े टुकड़े की अाश में
(ईमिः 21.03.2015)
647
लोकसभा के चुनाव के समय इस अाशय की एक तुकबंदी  की थी,  मिल नहीं रही है, फिर से कोशिस करता हूं.

 बॉस से नहीं उसके कुत्तों से लगता है डर
भौकते हैं जो बेबात किसी भी पथिक पर
करते हैं पीछे  से वार अपनी ही जमात पर
अाती है बात जब हड़्डी के बड़े टुकड़े पर
पाते ही कुर्सी का अाश्रय पड़ता है इन पर ऐंठने का दौरा
बैठ जाते हैं दुम हिलाकर पाते ही रोटी का छोटा सा कौरा
चलते हुये रथ के नीचे सोचते हैं खुद को इंजन रथ का
अौर पावर हाउस अनुशासन के ज़ीरो पावर बल्ब का
इनकी प्यार-पुचकार में भी होता है 14 इंजेक्सनों का डर
(वह बात नहीं आ पायी)
(ईमिः22.03.2015)
648
लोकसभा के चुनाव के समय इस अाशय की एक तुकबंदी  की थी,  मिल नहीं रही है, फिर से कोशिस करता हूं.

 बॉस से नहीं उसके कुत्तों से लगता है डर
भौकते हैं जो बेबात किसी भी पथिक पर
करते हैं पीछे  से वार अपनी ही जमात पर
अाती है बात जब हड़्डी के बड़े टुकड़े पर
पाते ही कुर्सी का अाश्रय पड़ता है इन पर ऐंठने का दौरा
बैठ जाते हैं दुम हिलाकर पाते ही रोटी का छोटा सा कौरा
चलते हुये रथ के नीचे सोचते हैं खुद को इंजन रथ का
अौर पावर हाउस अनुशासन के ज़ीरो पावर बल्ब का
इनकी प्यार-पुचकार में भी होता है 14 इंजेक्सनों का डर
(वह बात नहीं अा पायी)
(ईमिः22.03.2015)
649
चिराग जलता रहेगा सहर होने तक
जंग चलता रहेगा अमन अाने तक

डर है कि काले बादलों से न घिर जाये माहताब
दाग़दार न हो जाये इक नई सुर्ख सुबह का ख़ाब

अाम अादमी की भूमिका में थे जब अाप
सोचा था लोगों ने कम होगा कुछ संताप

मगर बनते ही खास आम से
दफ्न किया नैतिकताआराम से

उतार फेंका अाम आदमी का चोंगा
अावाम को दुत्कारा कह पंडित पोंगा

अपनाया सत्ता पाने की मैक्यावली की सलाह
किया न मगर चलाने के मशविरों की परवाह

अवश्यंभावी है उसी तरह आपका सर्वनाश
हो रहा है जिस तरह वंशवाद का सत्यानाश

 क्रांति का बीज जब बोयेगा आवाम
होगा सब  फरेबियों का काम-तमाम.
(ईमिः29.03.2015)
650
अंतिम कविता
जीवन अंत की तरफ अग्रसर है
और लिखना है अभी पहली कविता
और पहली किताब
अंतिम कविता उस दिन लिखूंगा
पूरा होगा जब दुनिया बदलने का ख़्वाब
(ईमिः05.04.2015)








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