Sunday, April 19, 2015

लल्लापुराण 165 (रोजा लक्ज़ंरबर्ग)

Ramadheen Singh अग्रज प्रणाम,  सारे जनसंहार निंदनीय हैं, लेकिन और जनसंहारों के हवाले किसी भी जनसंहार का बचाव अमानवीय है. 1984 व 2002 समान रूप निंदनीय हैं. स्टालिन द्वारा पार्टी में अांतरिक जनतंत्र का हनन इनसे भी अधिक निंदनीय है. पढ़ने की अादत होती तो पता चलता कि इस पर सर्वाधिक सार गर्भित अौर पैना अाक्रमण मार्क्सवादियों ने ही किया है. क्षमा याचना के साथ अाग्रह करना चाहता हूं कि अपने अफवाह-जन्य इतिहोस बोध को सार्वजनिक करके अपनी भद न पिटवायें. स्टालिन द्वारा, "रोज़ा लक्जमवर्ग की यातना और तड़पा तड़पा कर मारने का जिक्र भी करना पड़ेगा". अापकी जानकारी के लिये -- 1. कॉ. रोजा लक्ज़मबर्ग रूसी नहीं जर्मन थीं. 2. 1919 में जर्मनी स्पार्टकसवादी (Spartacist) विद्रोह हुअा, रोज़ा इसमें शामिल थी. 3. विद्रोह को Frierick Ebert की सामाजिक लोकतांत्रिक सरकार की सेना तथा Freicorps -- प्रथम विश्वयुद्द के वेटेरनों का दक्षिणपंथी पारा-सैनिक संगठन -- ने मिलकर कुचल दिया था. रोजा लक्ज़ंबर्ग Freicorps के हथियारबंद दस्ते  के हाथ लग गयीं, जिन्होने उन्हें गोली मारकर नहर में फेंक दिया था. ऐतिहासिक वक्तव्य देते समय तथ्य परख लें. सादर.

No comments:

Post a Comment