Saturday, April 18, 2015

ऐसा दिन इक दिन अायेगा.

जी हां, ऐसा भी दिन अायेगा
जब सच की तूती बोलेगी अौ झूठ लताड़ा जायेगा
जब भेद खुलेगा मक्कारों का अौ ज़िंदानों को तोड़ा जायेगा
जब भूत भगेगा भगवा का अौ फरेब सामने अायेगा
जब राष्ट्रवाद का नकाब हटेगा अौ प्रपंच नंगा हो जायेगा
जब बेपर्दा होगा हत्यारा अौ गद्दी से गिराया जायेगा
जब जाग उठेगी धरती अौ गुलनार तराने गायेगा
जब होगें पढ़े-लिखे नुमाइंद अौ ज़ाहिल न कनाडा जायेगा
जब खत्म होगी गिनती गद्दी की अौ 3 को 42 न कोई बतलायेगा
जब होगी न ज़रखरीद जमीन अौ दहकानों को पूजा जायेगा
जब होगी खैर न ज़रदारों की अौ मेहनतश जश्न मनायेगा
जब होगी नहीं गुलामी ज़र की अौ अाज़ादी का तराना गया जायेगा
जब धरती झूम के उट्ठेगी अौ अंबर लाल-लाल लहरायेगा
हां ऐसा दिन तब अायेगा अौ इंकिलाब कहलायेगा
तब होगा खाक़नशीं न कोई अौ धन्नासेठ न कोई रह जायेगा
तब धरती पर होगा अमन-चैन अौ जंग न कहर बरपायेगा
जी हां ऐसा दिन इक दिन अायेगा अौ समाजवाद कहलायेगा
तब न भूखा कोई सोयेगा अौ ऐश न कोई मनायेगा
तब ज़ालिम ज़िंदानों में होगा अौ मेहनत की रो़टी खायेगा
तब होगा न कोई हिंदू-मुस्लिम अौ हर कोई इंसां कहलायेगा
वह दिन हमीं से अायेगा तब ताज़ रद्दी बन जायेगा
न जात-पांत का बंधन होगा अौ मर्दवाद मिट जायेगा
 वो दिन अवश्य ही अायेगा अौ मेहनतकश उसको लायेगा
तब सच की तूती बोलेगी अौ झूठ लताड़ा जायेगा.
ऐसा दिन इक दिन अायेगा.
(ईमिः 18.04.2015)

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