Friday, April 24, 2015

पेड़ से लटकता किसान

उसने कहा अच्छे दिन अा रहे हैं
वे मुल्क में विदेशी पूंजी ला रहे हैं
करेंगा कॉरपोरेट बेदखल जब किसान
है जो अब तक खेती की झंझटों से परेशान
बनाकर मजदूर बढ़ायेगा उनकी शान
हो खुशी से पागल पेड़ से लटकेगा किसान 
तब जाकर बनेगा राष्ट्र महान

राष्ट्र पर विश्वबैंक का एहसान
कर्ज़ से जिसके बन रहा देश महान
चाहता नहीं वह चमक-दमक पर दिहाती के धब्बों का निशान 
कर दिया उसने चालिस फीसदी गांवों के शहरी करण का फरमान 
अच्छे दिन के लिये महमहामहिम ने लिया उसको मान 
कानूनन होगा अब बेदखल किसान
मिलेगा उसको खानाबदोशी का सम्मान 
हो खुशी से पागल पेड़ से लटकेगा किसान 
तब जाकर बनेगा राष्ट्र महान
(ईमिः23-25.04.2015)

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