बौद्ध विचारों से अातंकित ब्राह्मणवाद ने बुद्ध को अवतार बनाकर बौद्ध प्रसार रोकने का प्रयास किया, वही प्रयोग संघी अाज दलित चेतना की धार कुंद करने के लिये अंबेडकर को अपनाने के नाटक से कर रहे हैं. ये मूर्ख यह नहीं जानते कि इतिहास खुद को दुहराता नहीं, लेकिन प्रतिध्वनित होता है. कुछ प्रतिध्वनियां भयावह होती हैं. दलितों में सांप्रदायिकता का प्रसार उनमें से एक है इसलिये इनके मंसूबों अौर रणनीति को समझना होगा तथा उन्हें ध्वस्त करने की कारगर रणनीति बनानी होगी. दलित सांप्रदायीकरण के संघी अभियान में सत्ता लोलुप कुछ अंबेडकरी राम (राम अठावले, उदित(राम)राज, रामविलास) हनुमानों की भूमिका निभा रहे हैं. इनके इन मंसूबों को लूट तथा बेदखली के खिलाफ जनांदोलनों से ही नाकाम किया जा सकता है.
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