Sunday, November 12, 2017

जिंदगी


ज़िंदगी जीना सिखाती है
साजिशों के तूफां से लड़ना सिखाती है
प्रकाश की गति से उड़ना सिखाती है
ज़िंदगी कोई तिनका तो नहीं
कि उड़ जाए जो हवा के एक झोंके में
वह अपने गतिविज्ञान के नियम खुद तय करती है
तूफानों से लड़ते हुए, लड़खड़ाते हुए, गिरते हुए
ऊबड़-खाबड़ कंटीले रास्तों पर लहू-लुहान चलते हुए
अंततः आगे ही बढ़ती है
बढ़ती ही रहती है अंतिम अवसान तक
(ईमिः 13.11.2017)

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