अगर नक्सलबाड़ी आंदोलन में गल्तियां नहीं हुईं तो उफान के 3 साल के अंदर ही आंदोलन बिखरने क्यों लगा कॉ. चारू के जीवन काल में ही? गल्तियों की समीक्षा आंदोलन की निंदा नहीं बल्कि मार्क्सवादी शब्दावली में आत्मावलोचना है। आपातकाल के बाद तक नक्सबाड़ी की विरासत के दावेदारों की संख्या बढ़ती गयी। आज सीपीआई(माओवादी) के अलावा लिबरेसन समेत लगभग 2 दर्जन छोटी-बड़ी माले पार्टियां हैं सभी अपने को ही नक्लबाड़ी की बिरासत के असली दावेदार मानती है. नक्सलबाड़ी के किसानों का सशस्त्र उफान एक स्वस्फूर्त विद्रोह था उसके बाद ही आंदोलन शुरू हुआ।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment