Thursday, December 1, 2016

नोटबंदी 1

जब कभी लिखा जाएगा
मुल्कों की तबाहियों का इतिहास
नोटबंदी को मिलेगी उसमें
तवज्जो कुछ खास
विश्व बैंक चाहता है
वालमार्ट का कब्जा
हर कायनात पर
रोजी-रोटी और दाना-पानी की हर बात पर
यफडीआई है उसका आसान रास्ता
लोकतंत्र में लेकिन है संख्या का मामला आ जाता
और कानून बनाना मुश्किल
कल के अकूत फायदे के लिए
और भूख की मौत को
बलिदान बताना मुश्किल
यफडीआई का जादू
विकास का चमत्कार नहीं कर पाता
देश विश्वगुरू बनने से वंचित हो जाता
शहंशाह को तभी सूझी तुगलकी तरकीब
बनाया उसने आमजन के लिए
कोले धन की सलीब
किया मेहनतकश की कमाई को
काला धन करार
करने को सफेद उसे लग गई कतार
मर गए कई खाकर नोटबंदी की मार
शहंशाह ने कहा इसे देश के लिए त्याग
नोटबंदी ने मजदूरी के तिजारतियों को भी जकड़ा
लेबर चौराहों पर शमसान आ पसरा
मेहनतकश के लहू-लुहानी का
पड़ा कारोबारियों पर भी असर
बंद किया धंधा बांध लिया बोरिया बिस्तर
आ गया यफडीआई बैकडोर से घुस कर
काबिज हुआ वालमार्ट किराना बाजार पर
इस पर टिके करोड़ो लोग
पहुंच गए भूख की कगार पर
आया देश में एक अंधा युग
भक्ति-काल के नाम से जाना जाएगा
अकाल से त्रस्त यह मैक्यावलियन युग
मानक बनेगा यह अकालों के इतिहास में
बराबरी न कर पाएगा
सन् 42 का बंगाल का अकाल
होगा वैसा ही पूरे देश का हाल
जैसा कि जन गाता आया है
हर ज़ुल्मत के दौर में
"बुरी है आग पेट की बुरे हैं दिल के दाग ये
न बुझ सकेंगे एक दिन बनेगें इन्क़िलाब ये"
(कलम की एक और, और शायद अनावश्यक आवारगी)


(ईमि:02.12.2012)

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