देशभक्ति क्या है? विश्वबैंक की जी हुजूरी या अडानी की खातिरदारी? भारत माता की जय बोलकर उत्पाती लंपटता या गोरक्षकों की आपराधिक गुंडागर्दी? या 5 घंटे अपने पैसे के लिए लाइन में खड़ा होना? कोई भी अवधारणा परिभाषा से शुरू होती है, किसी भी देशभक्त ने इसकी परिभाषा नहीं की. मैं तो मजदूर हूं, मजदूर का कोई देश नहीं होता वैसे ही जैसे पूंजी का कोई देश नहीं होता. पाकिस्तानी या अमेरिकी मजदूर से मेरी एकजुटता उतनी ही गहन है, जितनी उनका खून चूसने वाले अंबानी-वालमार्टों तथा उनके राजनैतिक चाकरों के प्रति विरोधभाव. किसी संवैधानिक जनतंत्र में संविधान के प्रति निष्ठा ही देशभक्ति है. विचार और अभिव्यक्ति के संवैधानिक अधिकार के तहत आज़ादी के नारे लगाने वाले जेयनयू के छात्र देशभक्त हैं तथा संविधान की धज्जियां उड़ाते हुए दूसरों के अभिव्यक्ति के कार्यक्रमों में हुड़दंग मचाने वाले एबीवीपी के ब्राह्मणवादी लंपट देशद्रोही. गुरुकुल मार्का अधिनायकवादी शिक्षा पद्धति थोपना देशद्रोह है तथा विचार-विमर्श पद्धति से वैज्ञानिक शिक्षा के लिए लड़ना देशभक्ति.
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment