हुक्मरानों की चाल है हमें बेबस और लाचार बनाना
उठाकर फायदा बेबसी का दिमाग पर ताले लगाना
पहनाता है वर्दी हड़प लेता है सोचने का अधिकार
करता आया सदियों से हमारे हथियार से हमारा शिकार
पापी पेट के लिए बनते रहे हैं सल्तनतों के वफादार
जब से आया है पूंजीवाद हमारा धर्म बन गया राष्ट्रवाद
राष्ट्रवाद रहता था लंदन में था जब देश में अंग्रेजी राज
गुटनिरपेक्ष दिनों में दिल्ली में ही रहने लगा था राष्ट्रवाद
वाशिंगटन डीसी में रहने लगा आया जब से कॉरपोरेटी राज
समझेगा ही मेहनतकश इन नरभक्षियों की चाल
काट डालेगा सरमाए की गुलामी के सारे जाल
वर्दियां भी लड़ेंगी मांगेगी चिंतन का अधिकार
नहीं करेंगी हुक्म पर किसी गरीब का शिकार
सोचने लगेंगी जब वर्दियां बदल जाएगी तारीख़
मेहनतकश की फौज हो जाएगी काबिलेतारीफ
होगा तब दुनिया में एक ऐसा इंकिलाब
ख़ाक में मिल जाएगा क़रपोरेटी राज
(ईमिः 11.12.2016)
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