Karan Singh Chauhanआत्महत्याओं पर आंसू बहाते हैं, सोहर की तरह नहीं गाते। मैं आपको व्यक्तिगत रूप से नहीं जानता, आपके लेखों और साहित्यिक मित्रों में आपकी चर्चा से ही जानता हूं. लेकिन अडानी-अंबानियों के 12 लाख करोड़ के बैंको से लूट के कारण बैंकिंग संकट से उबरने के लिए सारे गरीब-गुरबा की मेहनत की कमाई जब्त कर, बैकडोर से रिटेल में यफडीआई का रास्ता तैयार कर मुल्क को गंभीर आर्थिक संकट में ढकेलने की नोटबंदी की साजिश आप की समझ में नहीं आती तो आपकी बौद्धिक ईमानदारी संदेहास्पद दिखती है. छोटे-मुह बड़ी बात हो गयी हो तो मॉफ कीजिएगा. सादर.
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