Sunday, December 4, 2016

फकीर राजा

एक देश में एक राजा था बिल्कुल फकीर
एक भिखारी था उसी देश में बेहद अमीर
राजा करता था लखटकिया सूट में तकरीर
भिखारी मांगता था स्वाइप मशीन से भीख
राजा ने कहा अगर देश में लाना है खुशहाली
तो चाहिए मॉल कल्चर और कैशलेस इकॉनामी
मर रहा है वही नोटबंदी की पवित्र मार से
मर सकता था जो वैसे भी बे-दवा बुखार से
ऐसे लोग जो ज़िंदगी में उठ नहीं पाते
राष्ट्र के लिए त्याग कर नहीं पाते
रोजी-रोटी में ही जीवन खपा डालते
या बेरोजगारों की फौज खड़ी करते
मिटा देते हैं उनकी जीवन रेखा भगवान
नोटबंदी तो है महज एक माध्यम नादान
राजा की लफ्फाजी से हो गया भिखारी बोर
चढ़ महल की मीनार पर मचाने लगा शोर
चिल्लाकर गाने लगा राजा है फरेबी चोर
नौटंकी में दिया इसने मुझे स्वाइप मशीन
करके मेरी नुमाइश दिखाता सपने रंगीन
सेठों का कारिंदा है नहीं है ये फकीर
खींच रहा दिमागों में वह छल से लकीर
कहता हटाने को गरीबी हटाता है गरीब
बनाता है उनके लिए नोटबंदी का सलीब
(आज दूसरी बार कलम की आवारगी, ये तब कुछ ज्यादा आवारा हो जाता है जब इसके पास कोई गंभीर काम होता है.)
(ईमि:04.12.2016)

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