दोजख कैसा होगा वाइज़ ही जाने
शर्म आती है मनुष्य की दरिंदगी की ख़बरों से
हटती ही नहीं ये ख़बरें मगर कभी नज़रों से
लगता है हम शर्मिस्तान में रहते हैं
हर रोज कई शर्मनाक ख़बरें सहते हैं.
दोजख कैसा होगा वाइज़ ही जाने
खुदा की इस दुनिया से बुरा क्या होगा?
[ईमि/२५.१२.'१२ ]
शर्म आती है मनुष्य की दरिंदगी की ख़बरों से
हटती ही नहीं ये ख़बरें मगर कभी नज़रों से
लगता है हम शर्मिस्तान में रहते हैं
हर रोज कई शर्मनाक ख़बरें सहते हैं.
दोजख कैसा होगा वाइज़ ही जाने
खुदा की इस दुनिया से बुरा क्या होगा?
[ईमि/२५.१२.'१२ ]
बहुत अच्छा. कविता का सौंदर्यशास्त्र ले गए... हा हा
ReplyDeleteआपकी जिस गज़क को मैंने सुपर लाइक किया है बहुत अच्छी है,