खत्म होगा ज़ुल्मतों का यह दौर भी
हर दौर कभी-न-कभी कभी खत्म होता है
खत्म होगा ज़ुल्मतों का यह दौर भी
देखना है आ जाए न नया दौर नयी ज़ुल्मतों का
आता रहा है नया ज़ालिम पुराने की जगह
यही तजुर्बा है अभी तक तारीख का
लाखों वर्ष जब तक आदिम इंसान था
न था जर न ज़ुल्म-ओ-सितम का निशान था
लाना है यदि दुनिया में एक उजाला बिहान
खत्म करना होगा जड़ से जर का निजाम
ईमि[३१.१२.१२]
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