Sunday, December 23, 2012

जला देना होगा वह शब्द कोष


जला देना होगा वह शब्द कोष
ईश मिश्र 

इसीलिये मैं बार-बार दोहराता हूँ
लटका देने से जालिम को फांसी पर
नहीं खत्म होगा बलात्कार
इंसानियत पर मर्दवादी अत्याचार
जरूरत है निरंतर बमबारी की
मर्दवाद के प्राचीन, वैचारिक दुर्ग पर
तोड़ने की हठ-मठ और कर्मठ
उतार फेंकने की सर से पूर्वजों की लाशों का बोझ
लदीं अा रहीं जो पीढ़ी-दर-पीढी इंसानियत के ऊपर
परंपरा, मर्यादा अौर रीति-रिवाज बन कर
बदलनी होगी सडी-गली मर्दवादी सोाच
नारी-नैसर्गिकता को बताये जो गाली गलौच
मिटा देने होंगे वे सारे शब्द और मुहावरे
इंसानी रिश्तों को जो यौनिक  परिभाषा दें   
जला देना होगा वह शब्द कोष
कन्या-जन्म को देता जो दोष
घूर में डालना  वह शास्त्र अौर लोकोक्ति
नारी जननांग को समझे जो रद्दी की टोकरी 
नेस्त-नाबूद करने होंगे ऐसे सारे विचार
मर्दानगी की बदबू को कहें जो उच्च विचार

रचने होंगे नए शब्द और नए रिश्ते
लिखने होंगे नए शास्त्र और संहिता
करना होगा यौनिक भेद-भाव को अलविदा
होगा नहीं किसी को कोई यौन, मनोविकार
नहीं करेगा कोई कभी किसी का बलात्कार
लिखा जाएगा जो शब्दकोष नया
होगी नहीं नारी उसमें पूज्या या भोग्या
न होगी वह जूती न कचनार की कच्ची कली
न चांद न तारा न ही हीरा मोती
न होगा हुस्न का पिजरा न विश्व-सुन्दरी का लफडा 
होगी नारी भी नारी से पहले इंसान
पुरुषों के ही सामान इंसानी पहचान
[ईमि[24.12.'12]

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