रोटी का दाम
ईश मिश्र
एक रईस ने कहा एक शायर से गीता के अंदाज़ में
गरीबों की मदद से आयेगी जडता समाज में
गरीबों की मदद से आयेगी जडता समाज में
भूख से विह्वल उस लड़की को दोगे रोटी जो आज
नाकारा हो जाएगा भूखे नगों का समाज
नाकारा हो जाएगा भूखे नगों का समाज
शायर
ने दिया गैर-शायराना सा जवाब
तोंद इतनी मोटी क्यों है आपकी जनाब?
खाए अघाए लोगों का है
यह पैगाम
मालुम नहीं है जिनको
रोटी का दाम
नहीं चाहते जो बदलना
ऐसा निजाम
रोटी को तरसे जिसमें
कोई इंसान
रोटी को तरसती वह जो
लड़की है
मेहनत की नहीं उसके
पास कड़की है
मेहनत से मिलती उसको
जो रोटी
चढ जाती वो हिमालय की
ऊंची चोटी
इसलिए नहीं भूखी है कि
है काम चोर
श्रम के साधनों पर
काबिज हैं हरामखोर
हो जाए गर रोटी की
जमाखोरी बंद
नहीं फैलाएगा हाथ कोई
गैरतमंद
आइये छेड़ें जंग इस
निजाम के खिलाफ
कि मिल सके हर इंसान को दो रोटी की सौगात
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