Wednesday, December 12, 2012

रोटी का दाम


रोटी का दाम
ईश मिश्र

एक रईस ने कहा एक शायर से गीता के अंदाज़ में
गरीबों की मदद से आयेगी जडता समाज में
                               
भूख से विह्वल उस लड़की को दोगे रोटी जो आज
नाकारा हो जाएगा भूखे नगों का समाज

 शायर ने दिया गैर-शायराना सा जवाब
तोंद इतनी मोटी क्यों है आपकी जनाब?

खाए अघाए लोगों का है यह पैगाम
मालुम नहीं है जिनको रोटी का दाम

नहीं चाहते जो बदलना ऐसा निजाम
रोटी को तरसे जिसमें कोई इंसान

रोटी को तरसती वह जो लड़की है
मेहनत की नहीं उसके पास कड़की है

मेहनत से मिलती उसको जो रोटी
चढ जाती वो हिमालय की ऊंची चोटी

इसलिए नहीं भूखी है कि है काम चोर
श्रम के साधनों पर काबिज हैं हरामखोर

हो जाए गर रोटी की जमाखोरी बंद
नहीं फैलाएगा हाथ कोई गैरतमंद

आइये छेड़ें जंग इस निजाम के खिलाफ
कि मिल सके हर इंसान को दो रोटी की सौगात 

No comments:

Post a Comment