Saturday, December 29, 2012

मर्दवादी वेद


मर्दवादी वेद

नहीं थी आदिम समाज में ऐसी मर्द्वादी बर्बरता
शुरू हुआ यह जब से आई मनुष्यों में सभ्यता
जकडा जंजीरों में गुलामों को औरत को किया कैद
लिखना शुरू किया अरस्तुओं ने मर्दवादी वेद
फांदने लगी जब वह घर की जेल की चारदीवारी
मर्दवाद ने प्रचारित किया सेक्स की मशीन है नारी
मशीन बनने से किया इंकार जब दावे के साथ
मर्दवाद ने माना इसे कलियुग का भीषण उत्पात
कहा उसने जब है वह हाड़-मांस की साबूत इंसान
बौखला कर मर्दवाद बन गया भयानक हैवान
-- ईमि[30.12.12]

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