अभागा है पुरुष
समता का सुख से अनभिज्ञ अभागा है पुरुष
प्रिया के सखी होने के आनंद से अपरिचित, अभागा है पुरुष
नाकाब्पोशी के चलते बच्चों की दोस्ती से वंचित, अभागा है पुरुष
नारी चेतना के उत्थान से बौखलाता, अभागा है पुरुष
किन्तु उठी है जो नारी-चेतना की उमडते समंदर की लहर
बरपाएगी ही एक दिन मर्दवादी वैचारिक दुर्ग पर कहर
झूमती दरिया से उट्ठी है जो नारीवादी शिक्षा, दावेदारी
बौखला उट्ठी है मर्दवादी पिल्लों की पूरी बिरादादारी
इन युवतियों के सीने में धधकती पीड़ा की ज्वाला
बनने को उद्द्यत है आग का दावानली गोला
तोडेगा जो भी बराबरी के हक की साख
हो जाएगा जलकर इतिहास के कूडे की राख
--- "ईमि"(ईश मिश्र ) [गुरुवार, 20 दिसम्बर 2012]
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